सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में पानी की टंकी साफ कराने की अनुमति दी

उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से अदालत में पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल माधवी दीवान ने टंकी की सफाई की अनुमति मांगते हुए कहा था कि इसमें मरी हुई मछलियां पड़ी हैं. इसके बाद न्यायालय ने इसकी सफाई का निर्देश दिया.

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) ने वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद के सील किए गए क्षेत्र में स्थित पानी की टंकी की सफाई के लिए हिंदू महिला वादियों द्वारा दायर याचिका मंगलवार को स्वीकार कर ली. प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने वाराणसी के जिला मजिस्ट्रेट की निगरानी में पानी की टंकी की सफाई कराए जाने का आदेश दिया.

उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से अदालत में पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल माधवी दीवान ने टंकी की सफाई की अनुमति मांगते हुए कहा था कि इसमें मरी हुई मछलियां पड़ी हैं. इसके बाद न्यायालय ने इसकी सफाई का निर्देश दिया. शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में यह भी कहा कि मस्जिद के प्रबंधन निकाय अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी ने वाराणसी की एक निचली अदालत में इसी तरह की याचिका दायर की है.

वाराणसी जिला अदालत ने पिछले साल 21 जुलाई को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को यह पता लगाने के लिए ‘विस्तृत वैज्ञानिक सर्वेक्षण’ करने का निर्देश दिया था कि काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित मस्जिद का निर्माण किसी मंदिर की पहले से मौजूद संरचना पर किया गया है या नहीं.

उच्चतम न्यायालय ने मस्जिद परिसर के वजूखाने को संरक्षित रखने का पहले आदेश दिया था जिसके कारण यह हिस्सा सर्वेक्षण का हिस्सा नहीं होगा. हिंदू वादियों ने इस स्थान पर ‘शिवलिंग’ होने का दावा किया है.

हिंदू कार्यकर्ताओं का दावा है कि इस स्थान पर पहले एक मंदिर था और 17वीं शताब्दी में मुगल सम्राट औरंगजेब के आदेश पर इसे ध्वस्त कर दिया गया था.

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