एक्सपोसैट एक्स-रे स्रोत के रहस्यों का पता लगाने और ‘ब्लैक होल’ की रहस्यमयी दुनिया का अध्ययन करने में मदद करेगा. यह, ऐसा अध्ययन करने के लिए इसरो का पहला समर्पित वैज्ञानिक उपग्रह है.
श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश):
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अंतरिक्ष में ब्लैक होल का अध्ययन करने में मदद करने वाले अपने पहले एक्स-रे पोलरिमीटर उपग्रह का सोमवार को सफलतापूर्वक प्रक्षेपण करने के साथ 2024 की शुरुआत की. इसरो के सबसे भरोसेमंद ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) से अंतरिक्ष में ले जाने वाले पेलोड में से एक को महिलाओं ने बनाया है, जिसके कारण भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने इसे देश के लिए प्रेरणा बताया है.
पीएसएलवी-सी58 रॉकेट अपने 60वें मिशन पर मुख्य पेलोड एक्सपोसैट को लेकर गया और उसे पृथ्वी की 650 किलोमीटर निचली कक्षा में स्थापित किया. बाद में वैज्ञानिकों ने पीएसएलवी ऑर्बिटल एक्सपेरिमेंटल मॉड्यूल (पोअम) प्रयोग करने के लिए उपग्रह की कक्षा को कम कर इसकी ऊंचाई 350 किलोमीटर तक कर दी.
एक्सपोसैट एक्स-रे स्रोत के रहस्यों का पता लगाने और ‘ब्लैक होल’ की रहस्यमयी दुनिया का अध्ययन करने में मदद करेगा. यह, ऐसा अध्ययन करने के लिए इसरो का पहला समर्पित वैज्ञानिक उपग्रह है.
अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने दिसंबर 2021 में सुपरनोवा विस्फोट के अवशेषों, ब्लैक होल से निकलने वाले कणों की धाराओं और अन्य खगोलीय घटनाओं का ऐसा ही अध्ययन किया था.
सोमनाथ अंतरिक्ष विभाग के सचिव भी हैं. उन्होंने कहा, “यह भी बता दूं कि उपग्रह को जिस कक्षा में स्थापित किया गया है वह उत्कृष्ट कक्षा है. लक्षित कक्षा 650 किलोमीटर की वृत्ताकार कक्षा से केवल तीन किलोमीटर दूर है और झुकाव 001 डिग्री है जो बहुत उत्कृष्ट कक्षीय स्थितियों में से एक है. दूसरी घोषणा यह है कि उपग्रह के सौर पैनल को सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया गया है.”
ऐसी उम्मीद है कि एक्सपोसैट दुनियाभर के खगोल विज्ञान समुदाय को काफी लाभ पहुंचाएगा. समय और स्पेक्ट्रम विज्ञान आधारित अवलोकन की इसकी क्षमता के अलावा ब्लैक होल, न्यूट्रॉन तारे और सक्रिय गैलेक्सीय नाभिक जैसी आकाशीय वस्तुओं के एक्स-रे ध्रुवीकरण माप के अध्ययन से उनकी भौतिकी की समझ में सुधार लाया जा सकता है.
इससे पहले, पीएसएलवी रॉकेट ने अपने सी58 मिशन में मुख्य एक्स-रे पोलरिमीटर उपग्रह (एक्सपोसैट) को पृथ्वी की 650 किलोमीटर निचली कक्षा में स्थापित किया. पीएसएलवी ने यहां पहले अंतरिक्ष तल से सुबह नौ बजकर 10 मिनट पर उड़ान भरी थी. प्रक्षेपण के लिए 25 घंटे की उलटी गिनती खत्म होने के बाद 44.4 मीटर लंबे रॉकेट ने चेन्नई से करीब 135 किलोमीटर दूर इस अंतरिक्ष तल से उड़ान भरी. इस दौरान बड़ी संख्या में यहां आए लोगों ने जोरदार तालियां बजायीं.
अंतरिक्ष एजेंसी ने अप्रैल 2023 में पोअम-2 का इस्तेमाल कर ऐसा ही वैज्ञानिक प्रयोग किया था. मिशन निदेशक जयकुमार एम. ने कहा, “मुझे पीएसएलवी की 60वीं उड़ान की सफलता का जश्न मनाने के लिए बेहद खुशी है.”
उन्होंने कहा, “जो चीजें इस मिशन को और दिलचस्प बनाती हैं उनमें नयी प्रौद्योगिकियां हैं जिन्हें पोअम 3 प्रयोग में दिखाया जा रहा है, हमारे पास सिलिकॉन आधारित उच्च ऊर्जा वाली बैटरी, रेडियो उपग्रह सेवा…है.”
वह केरल के तिरुवनंतपुरम में ‘एलबीएस इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी फॉर वुमेन’ के सदस्यों द्वारा बनाए उपग्रह का जिक्र कर रहे थे. सोमनाथ ने कहा कि महिलाओं द्वारा निर्मित उपग्रह न केवल इसरो बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणादायक है.
उन्होंने कहा, “वीसैट टीम ने इसरो के साथ मिलकर एक उपग्रह बनाया है और हम पीएसएलवी पोअम पर इसे भेजकर बहुत खुश हैं. यह न केवल इसरो बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणा है. जब लड़कियां विज्ञान की पढ़ाई पर अपना समय लगा रही हैं और जब वे अपने क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करती हैं तो हमें उन सभी की प्रशंसा करनी चाहिए. इसलिए वीसैट टीम को बधाई.”