तेलंगाना में कांग्रेस की जीत में रेवंत रेड्डी की अहम भूमिका मानी जा रही है. हालांकि उन्हें पार्टी के कई नेताओं की तरफ से विरोध का भी सामना करना पड़ा है.
नई दिल्ली, हैदराबाद:
कांग्रेस पार्टी को तेलंगाना में शानदार जीत मिली. पार्टी की जीत में रेवंत रेड्डी (Revanth Reddy) की भूमिका को बेहद अहम माना जा रहा है. कांग्रेस को जहां तीन राज्यों में हार का सामना करना पड़ा वहीं तेलंगाना में उसे जीत मिली. पार्टी की तरफ से अब सीएम पद को लेकर मंथन चल रहा है. इस मुद्दे पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि फैसला ले लिया गया है. उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि रेवंत रेड्डी को शीर्ष पद के लिए चुना गया है.
दिल्ली में हुई बैठक, रेवंत रेड्डी के नाम पर लगी मुहर
जानकारी के अनुसार रेवंत रेड्डी को सीएम बनाने का निर्णय दिल्ली में एक बैठक के दौरान लिया गया. जिसमें राहुल गांधी गांधी, कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे और राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल सहित अन्य लोग शामिल थे. फैसले की घोषणा से पहले हैदराबाद में कांग्रेस विधायक दल की बैठक होगी.54 साल के रेड्डी को सीएम के तौर पर चुने जाने से पहले हल्के विरोध का भी सामना करना पड़ा. तेलंगाना के कई नेताओं की तरफ से उनका विरोध किया गया. एन उत्तम कुमार रेड्डी, पूर्व सीएलपी नेता भट्टी विक्रमार्क, पूर्व मंत्री कोमाटिरेड्डी वेंकट रेड्डी, पूर्व उपमुख्यमंत्री दामोदर राजनरसिम्हा ने भी उनके नाम का विरोध किया.
प्रदेश अध्यक्ष बनने के दौरान भी विरोध का करना पड़ा था सामना
बताते चलें कि रेड्डी को तब भी एक चुनौती का सामना करना पड़ा था जब उन्हें 2021 में तेलंगाना कांग्रेस का प्रभार सौंपा गया था. टीडीपी से कांग्रेस में आने वाले रेड्डी पर उस दौरान कई गंभीर आरोप लगाए गए थे. हालांकि रेड्डी ने जिस दौर में कांग्रेस की कमान संभाली थी उस समय तेलंगाना में पार्टी की हालत बेहद कमजोर थी. चुनाव के दौरान भी रेड्डी पर कई आरोप लगाए गए थे. उनके ऊपर पैसे लेकर टिकट बांटने का आरोप भी लगाया गया था. जानकारों का मानना है कि तेलंगाना में कांग्रेस के 64 विधायकों में से 42 रेड्डी के वफादार हैं.