भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में कृषि की भूमिका पर जोर, नीति आयोग तैयार कर रहा “विजन डॉक्यूमेंट”

नीति आयोग (Niti Ayog) के सदस्य प्रोफेसर रमेश चंद ने एनडीटीवी के साथ एक खास इंटरव्यू में 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने में कृषि की भूमिका को रेखांकित किया.

नई दिल्ली: 

नीति आयोग ने 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के बारे में एक “विजन डॉक्यूमेंट” (Niti Ayog Vision Document) तैयार करने के लिए सीरीज शुरू की है. नीति आयोग ने प्रमुख आर्थिक और बुनियादी ढांचा मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारियों और हितधारकों के साथ परामर्श की एक श्रृंखला शुरू की है. इस “विज़न डॉक्यूमेंट” में 2024 के आम चुनावों से पहले मोदी सरकार की प्रमुख प्राथमिकताओं को रेखांकित करने की उम्मीद जताई गई है.

भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में कृषि की भूमिका

एनडीटीवी के साथ एक खास इंटरव्यू में नीति आयोग के सदस्य प्रोफेसर रमेश चंद ने 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने में कृषि की भूमिका को रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि क्लाइमेट चेंज एक बहुत बड़ी चुनौती है. हम अभी पूरी तरह से महसूस नहीं कर रहे कि यह कितनी बड़ी चुनौती बनती जा रही है. क्लाइमेट चेंज से सबसे ज्यादा एग्रीकल्चर प्रभावित होता है. उन्होंने कहा कि क्लाइमेट चेंज से निपटने के लिए, अडॉप्ट करने के लिए एग्रीकल्चर को बड़े स्तर पर बदलना होगा.

प्रोफेसर रमेश चंद ने कहा कि एग्रीकल्चर की क्लाइमेट चेंज को कंट्रोल करने में बेहद अहम भूमिका है.अभी भारत में जो क्लाइमेट चेंज हो रहा है उसमें 17% भूमिका कृषि क्षेत्र की है. अभी एग्रीकल्चर में करीब 17% ग्रीन हाउस गैस एमिशन होता है. देश में किसानों के लिए क्लाइमेट चेंज से निपटने के लिए बड़े स्तर पर एक सेंसटाइजेशन कैंपेन राष्ट्रीय स्तर जरूरी होगा. किसानों में यह जागरूकता बढ़ानी होगी कि एग्रीकल्चर क्षेत्र में किस तरह ग्रीनहाउस गैस एमिशंस हो रहा है और उसे नियंत्रित करना जरूरी है.

कृषि क्षेत्र में बढ़े नई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल

एग्रीकल्चर का रोल भारत को विकसित देश बनाने में अनेकों तरीकों में होगा. इसके लिए कृषि क्षेत्र में नई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल बढ़ाना होगा. इसके लिए कृषि क्षेत्र में स्टार्टअप कल्चर को बढ़ावा देना होगा और प्राइवेट सेक्टर को निवेश बढ़ाना होगा. दुनिया के विकसित देशों के मुकाबले भारत का अनुभव अलग होगा. अभी भारत में एग्रीकल्चर में 46% लोगों को रोजगार मिलता है जबकि दूसरे विकसित देशों में 2% से 4% है. प्रोफेसर रमेश चंद ने कहा कि भारत में हमने देखा है की लेबर का मूवमेंट एग्रीकल्चर सेक्टर से गैर-एग्रीकल्चर सेक्टर की तरफ बहुत ही धीमा है.

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