TMC ने कहा कि रेलवे ने उसे एक विशेष ट्रेन नहीं मुहैया कराई गई. इसलिए पार्टी मनरेगा के अंतर्गत 100 दिन की रोजगार गारंटी कार्यक्रम के तहत बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर राज्य की बकाया राशि मांगने के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं.
नई दिल्ली:
पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस पार्टी (TMC) ने आज (2 अक्टूबर) गांधी जयंती के अवसर पर केंद्र सरकार के खिलाफ दिल्ली के राजघाट पर प्रदर्शन किया. टीएमसी के कार्यकर्ता राजघाट पर एकत्र हुए और पश्चिम बंगाल के लिए मनरेगा (MGNREGA) और अन्य सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के लिए फंडिंग में कमी का आरोप लगाते हुए केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. इस दौरान टीएमसी ने आरोप लगाया कि विरोध प्रदर्शन को रोकने के लिए ट्रेनों और उड़ानों को रद्द किया गया था.
तृणमूल कांग्रेस (TMC) नेता अभिषेक बनर्जी ने कहा कि जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन की अनुमति मौखिक रूप से दी गई थी. लिखित अनुमति अभी भी पेंडिंग है. उन्होंने पहले कहा था कि जंतर मंतर में धारा 144 लागू कर दी गई है.
सुस्मिता देव ने कहा, “बीजेपी ने व्यावहारिक रूप से बंगाल के लोगों के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी है. टीएमसी नेता 2 और 3 अक्टूबर को केंद्र सरकार से अपने उचित बकाया को लेकर विरोध जताने के लिए दिल्ली आना चाहते हैं. अब, चूंकि वह दिल्ली आने पर अड़े हैं, इसलिए उन्होंने बंगाल के लोगों को दिल्ली पहुंचने के लिए विशेष ट्रेनें देने से इनकार कर दिया है. बंगाल के लोगों ने इस चुनौती का सामना किया है. वे बसों में और सड़क मार्ग से दिल्ली पहुंच रहे हैं. बेशक बहुत लंबा समय लगेगा, लेकिन वे लड़ाई के लिए तैयार हैं.”
उन्होंने कहा, “इससे साफ है कि बीजेपी को एहसास है कि बंगाल के लोगों का केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए दिल्ली आना कितनी बड़ी बात है. बीजेपी हमें रोक नहीं पाएगी. सोशल मीडिया पर देख सकते हैं कि हजारों लोग बसों से आ रहे हैं. सीएम ममता बनर्जी और महासचिव अभिषेक बनर्जी के नेतृत्व में लोग किसी भी तरह दिल्ली पहुंचेंगे.”
विरोध प्रदर्शन के लिए पश्चिम बंगाल से हजारों मनरेगा जॉब कार्डधारक तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) द्वारा व्यवस्थित की गई कई बसों में राष्ट्रीय राजधानी के लिए रवाना हुए थे. वहीं, ‘दिल्ली चलो : हमारे अधिकारों के लिए एक लड़ाई!’ के बैनर तले प्रदर्शनकारियों का इरादा महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत 100 दिनों के काम के बकाया भुगतान के लिए अपनी आवाज उठाना था.