PMLA के तहत ED की शक्तियों पर फैसले पर पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई के लिए SC में स्पेशल बेंच का गठन

जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की बेंच इस मामले पर सुनवाई करेगी.

नई दिल्ली: 

प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉड्रिंग एक्ट ( PMLA) के तहत ED की शक्तियों पर फैसले पर पुनर्विचार याचिका पर खुली अदालत में सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने स्पेशल बेंच का गठन किया है. जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की बेंच इस मामले पर सुनवाई करेगी.  18 अक्तूबर को इस मामले की सुनवाई होगी. कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई होगी.

27 जुलाई 2022 को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉड्रिंग एक्ट ( PMLA) के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा की गई गिरफ्तारी, जब्ती और जांच की प्रक्रिया को बरकरार रखा था. सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिंदबरम और महाराष्‍ट्र सरकार के पूर्व मंत्री अनिल देशमुख समेत 242  याचिकाओं पर फैसला सुनाया था.  जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और सीटी रवि कुमार की बेंच ने यह फैसला सुनाया था.

याचिका में क्या कहा गया था? 

 याचिकाओं में धन शोधन निवारण अधिनियम ( PMLA) के प्रावधानों को चुनौती दी गई थी. याचिकाओं में PMLA के तहत अपराध की आय की तलाशी, गिरफ्तारी, जब्ती, जांच और कुर्की के लिए प्रवर्तन निदेशालय ( ED) को उपलब्ध शक्तियों के व्यापक दायरे को चुनौती दी गई थी.  इसमें कहा गया है कि ये प्रावधान मौलिक अधिकारों का हनन करते हैं.  इस मामले में कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और मुकुल रोहतगी सहित कई वरिष्ठ वकीलों ने हाल के PMLA संशोधनों के संभावित दुरुपयोग से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर SC के समक्ष दलीलें दीं थी.

कार्ति चिंदबरम ने पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी

कड़ी जमानत शर्तों, गिरफ्तारी के आधारों की सूचना ना देना, ECIR (FIR के समान) कॉपी दिए बिना व्यक्तियों की गिरफ्तारी, मनी लॉन्ड्रिंग की व्यापक परिभाषा और अपराध की आय, और जांच के दौरान आरोपी  द्वारा दिए गए बयान ट्रायल में बतौर सबूत मानने जैसे कई पहलुओं पर कानून की आलोचना की गई है. दूसरी ओर, केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में प्रावधानों का बचाव किया था. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को  बताया कि विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चौकसी के 18,000 करोड़ रुपये  बैंकों को लौटा दिए गए हैं. इस मामले पर कार्ति चिंदबरम ने पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी.  24 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट खुली अदालत में सुनवाई को तैयार हो गया था.

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