भारत और कनाडा ने एक दूसरे के ख़िलाफ़ कार्रवाइयां करते हुए कई राजनयिकों को अपने-अपने मुल्क से निष्कासित किया है, और एक दूसरे के इलाकों में जोखिम का ज़िक्र करते हुए सफर से बचने की सलाह, यानी एडवायज़री भी जारी की हैं.
नई दिल्ली:
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंसियों की शिरकत संबंधी आरोपों के बाद पिछले कुछ दिनों से दोनों देशों के बीच तनाव बेहद बढ़ गया है, जबकि भारत ने कनाडा के आरोपों को ‘बेतुका’ करार दिया है. पिछले कुछ दिनों में दोनों ही मुल्कों ने एक दूसरे के ख़िलाफ़ कार्रवाइयां करते हुए कई राजनयिकों को भी अपने-अपने मुल्क से निष्कासित किया है, और एक दूसरे के इलाकों में जोखिम का ज़िक्र करते हुए सफर से बचने की सलाह, यानी एडवायज़री भी जारी की हैं. गुरुवार को, ताज़ातरीन कदम के तहत भारत ने कनाडा के नागरिकों के लिए ‘अगली सूचना तक’ वीसा जारी करना भी निलंबित कर दिया है.
आइए, एक नज़र डालते हैं कि हिन्दुस्तान और कनाडा के बीच तनाव क्यों पैदा हुआ, और कैसे अब यह बड़े राजनयिक विवाद में बदल चुका है.
ये हैं तनाव की वजहें…
इसी साल मार्च में, कनाडा में भारतीय दूतावासों और वाणिज्य दूतावासों के बाहर खालिस्तान-समर्थकों द्वारा किए जा रहे विरोध प्रदर्शनों के चलते भारत ने कनाडाई उच्चायुक्त को तलब किया था. उसी वक्त भारत के पंजाब में भी खालिस्तान-समर्थक अमृतपाल सिंह के खिलाफ बड़े पैमाने पर कार्रवाई की जा रही थी. उस वक्त विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा था कि “कनाडा सरकार से उम्मीद है कि हमारे राजनयिकों तथा राजनयिक परिसरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे…”
लगभग दो माह के बाद भारतीय विदेशमंत्री डॉ एस. जयशंकर ने ब्रैम्पटन में आयोजित एक ऐसी रैली को लेकर कनाडा सरकार पर वार किया, जिसमें भारत की भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या को दर्शाता एक बैनर प्रदर्शित किया गया था. डॉ जयशंकर ने संकेत दिया था कि कनाडा सरकार द्वारा अलगाववादियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई नहीं करने के पीछे ‘वोट बैंक की राजनीति’ हो सकती है. उन्होंने कहा था, “मुझे लगता है, एक छिपी वजह है, जिसके चलते अलगाववादियों, चरमपंथियों, हिंसा की वकालत करने वाले लोगों को जगह दी जाती है, और मुझे लगता है कि यह रिश्तों के लिए और कनाडा के लिए भी अच्छा नहीं है…”
हरदीप सिंह निज्जर की हत्या
खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की 18 जून, 2023 को कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया राज्य में एक गुरुद्वारे के पार्किंग एरिया में कुछ नकाबपोश बंदूकधारियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. कनाडा में काम करने वाली इन्टीग्रेटेड होमीसाइड इन्वेस्टिगेशन टीम ने मामले की जांच शुरू की थी, लेकिन अब तक कोई गिरफ़्तारी नहीं हुई है.
निज्जर की हत्या के कुछ हफ़्ते बाद एक खालिस्तानी संगठन ने हत्या के लिए कनाडा में भारतीय उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा और महावाणिज्यदूत अपूर्व श्रीवास्तव को ज़िम्मेदार ठहराने वाले पोस्टर जारी किए थे. दोनों राजनयिकों को हत्या के लिए उत्तरदायी ठहराने वाले इन पर्चों में 8 जुलाई को टोरंटो में एक रैली की भी घोषणा की गई थी. इसकी वजह से भारत ने कनाडाई अधिकारियों के साथ इस मुद्दे को उठाया भी था.
उस वक्त कनाडा ने भारतीय राजनयिकों की सुरक्षा का आश्वासन दिया था और जारी किए गए ‘प्रचार संबंधी पर्चों’ को ‘अस्वीकार्य’ करार दिया था.
जी20 में भी दिखा था तनाव
इसी माह नई दिल्ली में आयोजित हुए जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान भी भारत ने साफ़ संकेत दिए थे कि कनाडा की धरती पर खालिस्तान-समर्थकों की गतिविधियों के ख़िलाफ़ कनाडा की प्रतिक्रिया से भारत असंतुष्ट है. शिखर सम्मेलन से इतर द्विपक्षीय बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘कनाडा में चरमपंथियों की भारत-विरोधी गतिविधियां जारी रहने’ को लेकर भारत की चिंताओं के बारे में जस्टिन ट्रूडो को जानकारी दी थी. द्विपक्षीय वार्ता के बाद सख्त शब्दों में भारत की ओर से जारी किए गए बयान में कहा गया था, “ऑर्गेनाइज़्ड क्राइम, ड्रग सिंडिकेटों और मानव तस्करी करने वालों के साथ ऐसी शक्तियों के गठजोड़ को लेकर कनाडा को भी चिंता होनी चाहिए… यह बेहद ज़रूरी है कि दोनों देश ऐसे खतरों से निपटने के लिए सहयोग करें…”
उधर, जस्टिन ट्रूडो ने कहा था कि उन्होंने खालिस्तान चरमपंथ और ‘विदेशी हस्तक्षेप’ को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कई बार चर्चा की है. उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा था कि कनाडा हमेशा “अभिव्यक्ति की आज़ादी और शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन का बचाव करता रहेगा…’ उन्होंने यह भी कहा था कि कनाडा हिंसा को रोकने के साथ-साथ नफरत को दूर भी करेगा.
जस्टिन ट्रूडो ने कहा था, “याद रखना अहम है कि कुछ लोगों की हरकतें समूचे समुदाय या कनाडा का प्रतिनिधित्व नहीं करतीं… इसका दूसरा पक्ष यह है कि हमने कानून के शासन का मान रखने पर भी ज़ोर दिया और विदेशी हस्तक्षेप को लेकर भी बात की…”
हालांकि इसके बाद जस्टिन ट्रूडो को बेहद शर्मिन्दा करने वाली उड़ान संबंधी दिक्कतों का सामना करना पड़ा और वह कनाडा के लिए टेकऑफ़ भी नहीं कर सके. भारत ने उन्हें कनाडा भेज देने की पेशकश की गई, जिसे कनाडा ने ठुकरा दिया, और अंततः 36 घंटे के विलम्ब के बाद जस्टिन ट्रूडो घर के लिए रवाना हो पाए थे.
तनाव बढ़ने की क्या रहीं वजहें…
अब हाल ही में, यानी इसी सप्ताह सोमवार को जस्टिन ट्रूडो ने कहा कि कनाडा के सुरक्षाधिकारियों के पास यह मानने की वजहें हैं कि कनाडाई नागरिक निज्जर की हत्या को ‘भारत सरकार के एजेंटों’ ने अंजाम दिया था.
ट्रूडो से हवाले से छपी ख़बरों में बताया गया, “कनाडाई धरती पर कनाडाई नागरिक की हत्या में किसी भी विदेशी सरकार की संलिप्तता हमारी संप्रभुता का अस्वीकार्य उल्लंघन है… यह उन मौलिक नियमों के ख़िलाफ़ है, जिनके ज़रिये आज़ाद और लोकतांत्रिक समाज आचरण करते हैं…”
इसके बाद भारत ने भी कड़े शब्दों में कहा था, “कनाडा में हिंसा के किसी भी कृत्य में भारत सरकार की संलिप्तता के आरोप बेतुके और प्रेरित हैं…”
भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा, “मिलते-जुलते आरोप कनाडा के PM ने हमारे प्रधानमंत्री के सामने भी लगाए थे, जिन्हें पूरी तरह खारिज कर दिया गया था… हम कानून के शासन के प्रति मज़बूत प्रतिबद्धता रखने वाला लोकतांत्रिक समाज हैं… ऐसे बेबुनियाद आरोप खालिस्तानी आतंकवादियों और चरमपंथियों की तरफ से ध्यान हटाते हैं, जिन्हें कनाडा में आसरा दिया गया है, और जो भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को खतरा बने हुए हैं… इस मामले पर कनाडा सरकार की निष्क्रियता निरंतर चिंता का विषय रही है…”
बयान में यह भी कहा गया था, “कनाडा में हत्या, मानव तस्करी और ऑर्गेनाइज़्ड क्राइम समेत कई तरह की गैरकानूनी हरकतों को छूट दिया जाना कतई नई बात नहीं है…”
इसके बाद जब कनाडा ने एक वरिष्ठ भारतीय राजनयिक को निष्कासित किया, तो पलटवार करते हुए भारत ने भी ऐसा ही किया. और अब दोनों देशों ने अपने-अपने नागरिकों के लिए एक दूसरे के इलाकों में सफर करने के प्रति चेताते हुए एडवायज़री जारी की है.