झारखंड : ट्रांसजेंडरों को दिए गए आरक्षण के तरीके को लेकर उठने लगे सवाल, जानिए क्या है पूरा मामला

झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार ने ट्रांसजेंडरों के लिए आरक्षण का ऐलान किया है. इस समुदाय के जिन लोगों को किसी भी कैटेगरी में आरक्षण नहीं मिला है, उन्हें अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) कैटेगरी के खाली संख्या- 46 के तहत आरक्षण का लाभ दिया जाएगा. सामान्य वर्ग के किन्नरों को भी इसी कैटेगरी में लाभ मिलेगा.

नई दिल्ली: 

झारखंड सरकार (Jharkhand Government) ने ट्रांसजेंडरों यानी किन्नरों (Transgender Community) को समाजिक सुरक्षा (Social Security for transgenders)देने और उन्हें समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए आरक्षण (Reservation)का लाभ देने का फैसला लिया है. इस समुदाय के जिन लोगों को किसी भी कैटेगरी में आरक्षण नहीं मिला है, उन्हें अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) कैटेगरी के खाली संख्या- 46 के तहत आरक्षण का लाभ दिया जाएगा. सामान्य वर्ग के किन्नरों को भी इसी कैटेगरी में लाभ मिलेगा. इस बीच आरक्षण के मौजूदा ढांचे के बीच ट्रांसजेंडरों को आरक्षण दिए जाने के फैसले की तीखी आलोचना भी हो रही है. वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल ने ट्रांसजेंडरों को ओबीसी कैटेगरी के तहत आरक्षण दिए जाने को लेकर सवाल उठाए हैं.

दिलीप मंडल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) पर पोस्ट किया- “झारखंड का नया आरक्षण कानून.
– एससी ट्रांसजेंडर का आरक्षण एससी में
– एसटी ट्रांसजेंडर का आरक्षण एसटी में
– ओबीसी ट्रांसजेंडर का आरक्षण ओबीसी में
– तो क्या सवर्ण ट्रांसजेंडर का आरक्षण EWS में है?

नहीं, झारखंड सरकार ने सवर्ण ट्रांसजेंडर को ओबीसी में डाल दिया है.
ये @HemantSorenJMM के अफसरों का ओबीसी विरोधी काम है.”

NCBC दे रहा है ये तर्क
दिलीप मंडल की तरह कई राजनीतिक दलों के नेताओं ने भी झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार के फैसले पर सवाल खड़े किए हैं. ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक ट्रांसजेडर समुदाय के लिए ओबीसी आरक्षण (OBC Reservation) के प्रस्ताव का विरोध किसी और ने नहीं, बल्कि राष्ट्रीय अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग (National Commission for Other Backward Classes) ने किया है. NCBC के ज्यादातर सदस्यों का तर्क है कि मंडल आयोग (Mandal commission) ने अन्य पिछड़ा वर्गों (OBC) के निर्धारण के लिए जो पैमाना तय किया था, सरकार का यह प्रस्ताव उनका उल्लंघन करता है. उनका यह भी तर्क है कि ट्रांसजेंडर्स को ओबीसी (OBC) के तहत अलग समूह नहीं माना जा सकता.

ट्रांसजेंडर्स कोई जाति नहीं, बल्कि लिंग है
NCBC का यह भी तर्क है कि ट्रांसजेंडर्स वास्तव में कोई जाति नहीं हैं, बल्कि लिंग हैं. जाति वह है, जिसमें उनका जन्म हुआ. जाति का निर्धारण जन्म से हो जाता है. इसलिए जो जिस जाति में पैदा हुआ है, उसी के तहत उसे आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए.

फैसले के पहलुओं को समझने की जरूरत- सीपी सिंह
झारखंड से विधायक और बीजेपी के वरिष्ठ नेता सीपी सिंह NDTV से बातचीत में कहा, “जहां तक मेरी जानकारी है… झारखंड सरकार ने किन्नरों को जो आरक्षण दिया है, वो उसी कैटेगरी में दिया है, जिसमें वो आते हैं. उदाहरण के लिए, अगर कोई किन्नर ओबीसी वर्ग से आता है, तो उसे ओबीसी में ही आरक्षण मिलेगा. अगर कोई ट्रांसजेंडर एससी में आता है, तो उसे इसी कैटेगरी में आरक्षण मिलेगा. अगर कोई सवर्ण ट्रांसजेंडर है, तो उसे इसी कैटेगरी में आरक्षण मिलेगा. क्योंकि सवर्ण का कोई आरक्षण नहीं है, बल्कि 50 फीसदी जो आरक्षण है, वो जनरल यानी सवर्ण है. ट्रांसजेंडर के बारे में मैं पूरी जानकारी नहीं रखता हूं. लेकिन जहां तक मेरी राय है तो अगर कोई सवर्ण ट्रांसजेंडर होगा, तो उसे इसी कैटेगरी में आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए. झारखंड के मामले में विवाद कहा है? इसे समझने के लिए हमें हर पहलू को समझने की जरूरत है.”

सरकार अपने निर्णय दोबारा सोचे
वहीं, राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के पूर्व सदस्य ‘सह मूलवासी सदान मोर्चा’ के केंद्रीय अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद ने हाल ही में मीडिया से बातचीत में हेमंत सोरेन सरकार के फैसले पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि ट्रांसजेंडर का मामला राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग में लंबित है. आयोग की राय के बिना ट्रांसजेंडरों को ओबीसी में शामिल करना असंवैधानिक है. इसके साथ ही ये ओबीसी के अधिकारों से खिलवाड़ भी है. सरकार अपने निर्णय पर दोबारा विचार करना चाहिए.

किन्नरों को हर महीने मिलेगा एक हजार रुपये का पेंशन 
बता दें कि 6 सितंबर को झारखंड कैबिनेट की बैठक में ट्रांसजेंडर समुदाय को ओबीसी सूची में रिक्त स्थान 46वें स्थान पर में शामिल करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई. इस फैसले के बाद किन्नरों को राज्य में पिछड़ा वर्ग के आरक्षण का लाभ मिलने का रास्ता साफ हो गया. अब उन्हें राज्य में सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में नामांकन में आरक्षण का लाभ मिल सकेगा. राज्य में ओबीसी को 14 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है. उन्हें प्रति महीने एक हजार रुपये का लाभ पेंशन भी मिलेगा. इसके लिए किन्नर होने का मेडिकल प्रमाण पत्र भी देना होगा.

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