आतिशबाजी पर पाबंदी के आदेश के खिलाफ याचिकाकर्ताओं ने कहा कि दूसरा पक्ष यानी सरकारें इस पर चुप है कि उसने अब तक प्रदूषण नियंत्रण पर क्या किया है.
नई दिल्ली:
राजधानी दिल्ली में सर्दियों के मौसम में पटाखों पर बैन के आदेश के खिलाफ दायर याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बैन के फैसले में दखल से इनकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी सांसद मनोज तिवारी (Manoj Tiwari) की अर्जी ठुकरा दी है.सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जश्न मनाने के दूसरे तरीके ढ़ूंढ सकते हैं. इस मामले में याचिकाकर्ता सांसद मनोज तिवारी के वकील ने शिकायत दर्ज कराई कि ग्रीन पटाखों के आदेश के बावजूद कई राज्य पूर्ण प्रतिबंध लगा रहे हैं. जस्टिस ए एस बोपन्ना ने कहा कि स्थानीय स्तर पर अगर कोई प्रतिबंध है, तो प्रतिबंध है. हम इसमें हस्तक्षेप नहीं करेंगे.आप जश्न मनाने के दूसरे तरीके खोज सकते हैं.
“ऐसे राज्य जाए जहां पटाखों पर नहीं है बैन”
मनोज तिवारी के वकील ने कहा कि चुनाव परिणाम आदि के दौरान पटाखों की अनुमति दी जा रही है.कुछ राज्यों ने धारा 144 लगाई है. अदालत ने कहा कि आप अपनी जीत का जश्न अन्य तरीकों से मना सकते हैं. लोगों की मदद के लिए कुछ करें.अगर आपको पटाखे चलाने का मन है तो ऐसे राज्य में जाएं जहां इस पर प्रतिबंध नहीं है.आपको अपने समर्थकों से कहना चाहिए कि वे इसे न चलाएं.
सरकार ने 8 साल में क्या किया?
पटाखे और आतिशबाजी पर पाबंदी को लेकर याचिकाकर्ताओं ने कहा कि दूसरा पक्ष यानी सरकारें इस पर चुप है कि उसने अब तक प्रदूषण नियंत्रण पर क्या किया है. जहां तक दिल्ली एनसीआर का सवाल है, उन्होंने पिछले 8 वर्षों में क्या किया है?वकील गोपाल शंकर नारायण ने पटाखा निर्माताओं पर आरोप लगाया कि वे हर साल आते हैं और कहते हैं कि हमारे पास काम नहीं है, जबकि वे वास्तव में बिक्री जारी रखे हुए हैं. जहां तक नीरी का सवाल है नीरी ने 200 से अधिक निर्माताओं के साथ समझौता किया है लेकिन उसमे आर्थिक पहलू पर ज्यादा जोर है.
पटाखों पर प्रतिबंध जारी रखने के लिए पर्याप्त कारण हैं: कोर्ट
पटाखों पर प्रतिबंध जारी रखने के लिए पर्याप्त कारण हैं, बच्चे कारखानों में, विस्फोटों में और प्रदूषण से मर रहे हैं. निर्माता बार-बार निर्देशों का उल्लंघन करते रहते हैं, और फिर अदालत में आकर मांग करते है कि आप इसमें ढील क्यों नहीं देते?
वकील गोपाल शंकर नारायण ने AIIMS और गंगाराम हॉस्पिटल की पुरानी एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कोर्ट को बताया कि हॉस्पिटल के एक विशेषज्ञ डॉक्टर द्वारा दायर की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली में फेफड़ों के कैंसर के मामले बढ़ते जा रहे हैं. जब ये कण शरीर में प्रवेश करते हैं तो वहीं रह जाते हैं, और गंभीर बीमारी पैदा करते हैं. वकील गोपाल शंकर नारायण ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार अब पटाखा निर्माताओं का समर्थन कर रहा है, इसका कोई कारण हो सकता है. कल गुरुवार को भी जारी रहेगी सुनवाई.