मुंबई पहुंचा हिजाब विवाद! छात्राओं के विरोध के बाद कॉलेज ने ड्रेस कोड लिया वापस
मुंबई:
हिजाब विवाद मुंबई पहुंच गया है. चेम्बूर के ‘एनजी आचार्य डीके मराठे’ कॉ़लेज के बाहर बुधवार को मुस्लिम छात्राओं के विरोध प्रदर्शन का वीडियो वायरल हुआ. वीडियो में लड़कियां असहज और ग़ुस्से में दिख रही हैं. कॉलेज ने बुधवार को ड्रेस पॉलिसी का हवाला देते हुए कैंपस में बुर्का, हिजाब और स्कार्फ पहनकर आने पर रोक लगा दी थी. छात्राओं से सड़क पर ही हिजाब उतारने के लिए कहा गया. छात्राओं ने कॉलेज प्रशासन के फैसले का विरोध किया था.
अभिभावकों के साथ अधिकारियों की हुई बैठक
अभिभावकों के साथ-साथ कॉलेज अधिकारियों की बातचीत के बाद स्थिति शांत हुई. बाद में प्रिंसिपल विद्या गौरी लेले ने अपना बयान जारी कर कहा कि छात्राओं की सुरक्षा और सम्मान को ध्यान में रखते हुए बुर्का, हिजाब या स्कार्फ पहनकर कॉलेज आने की अनुमति दी जाएगी. हालांकि, उन्हें कक्षा में प्रवेश करने से पहले इसे वॉशरूम में उतारना होगा और शाम को कक्षा से बाहर निकलते समय इसे फिर से पहन सकते हैं. कॉलेज परिसर में स्टूडेंट्स को यूनिफॉर्म में ही रहना होगा.
ड्रेस कोड एक अगस्त से लागू किया गया था
प्रिंसिपल ने ये भी बताया कि इसके बारे में एक मई को ही पैरेंट्स मीटिंग में जानकारी दी गई थी और उसके बाद ही यूनिफॉर्म लागू किया गया. ड्रेस कोड एक अगस्त से लागू किया गया लेकिन विरोध के बाद वापस ले लिया गया. हिजाब विवाद के बाद चेम्बूर के आचार्य कॉलेज में मुंबई पुलिस की तैनाती की गई है. हालांकि पुलिस में शिकायत नहीं हुई है लेकिन एहतियातन आला अधिकारी और सुरक्षाकर्मी दोनों दरवाज़े पर तैनात हैं.
कॉलेज में पहले यूनिफ़ॉर्म लागू नहीं था
कॉलेज प्रशासन की तरफ़ से 11वीं और 12वीं की छात्राओं को यूनिफ़ॉर्म तैयार करने के लिए थोड़ा समय दिया गया है. पहले यूनिफ़ॉर्म नहीं था. इस साल से इसे लागू किया जाना है. कॉलेज की ओर से तर्क दे रहे हैं कि 11वीं और 12वीं माध्यमिक शिक्षा के अन्तर्गत है इसलिए यूनिफ़ॉर्म अनिवार्य है. पूरे मामले पर कॉलेज की प्राचार्य ने एनडीटीवी से बात करते हुए कहा कि कल के विरोध के पीछे कुछ शरारती लोगों का हाथ था. विरोध में शामिल छात्रायें या अभिभावकों ने हमसे बात नहीं की.
कॉलेज की प्रिंसिपल ने क्या कहा?
विरोध को लेकर पुलिस और कुछ सामाजिक संगठन ने हमसे बात की उसके बाद हमने बुर्क़े में कैंपस में आने की अनुमति दे दी है लेकिन क्लासरूम में नहीं, स्कार्फ़ की भी अनुमति नहीं होगी! हमने कोई टाइमिंग नहीं सोची ऐसा विचार हुआ कि 11वीं और 12 वीं के लिए यूनिफ़ॉर्म होना चाहिए, क्यूंकि ये माध्यमिक शिक्षा के अन्तर्गत आता है. इसलिए इस साल से लागू कर रहे हैं. इसी महीने से सभी को यूनिफ़ॉर्म में आना होगा. 90% छात्रों ने यूनिफ़ॉर्म बनवा लिया है, जिनको आपत्ति है वो दूसरा संस्थान देखे लें. 1 मई को ही यूनिफ़ॉर्म लागू होने की जानकारी दे दी गई थी. 15 जून से 31 जुलाई तक सभी को रिमाइंडर भेजे गए थे.