जगदीप धनखड़ ने टीएमसी सांसद पर “नाटकीयता में लगे रहने” को एक आदत बनाने का आरोप लगाया, जिस पर ओ’ब्रायन ने कड़ी आपत्ति जताई. ओ’ब्रायन ने कहा कि वह सदन के नियमों का हवाला देते हुए मणिपुर पर गंभीर चर्चा की मांग करते रहे हैं.
नई दिल्ली:
मणिपुर हिंसा के मुद्दे पर एक सप्ताह की नारेबाजी और बार-बार व्यवधान के बाद, आज राज्यसभा में सभापति जगदीप धनखड़ और तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ’ब्रायन के बीच बहस का दौर देखने को मिला, जिसके बाद सदन का माहौल तनावपूर्ण हो गया. सभापति ने टीएमसी सांसद पर “नाटकीयता में लगे रहने” को एक आदत बनाने का आरोप लगाया, जिस पर ओ’ब्रायन ने कड़ी आपत्ति जताई. ओ’ब्रायन ने कहा कि वह सदन के नियमों का हवाला देते हुए मणिपुर पर गंभीर चर्चा की मांग करते रहे हैं. राज्यसभा में सभापति और तृणमूल कांग्रेस के सांसद के बीच यह बहस तब हुई, जब जगदीप धनखड़ सदन के सदस्यों को संबोधित कर रहे थे और बता रहे थे कि सदन में बार-बार होने वाले व्यवधान से लोगों के बीच आपसी सम्मान खत्म होता है.
सभापति ने कहा, “मुझे मणिपुर में मौजूदा स्थिति पर चिंता व्यक्त करने के संबंध में नियम 267 के तहत आज 47 नोटिस मिले हैं. यह एक ऐसी स्थिति है, जिसका मैंने पूरे सप्ताह के दौरान सामना किया है. मुझे हर जगह से इनपुट मिलते हैं, वे चिंताजनक, खतरनाक चिंता का संकेत देते हैं. इसलिए मैं सदन से अपील करूंगा कि वे पक्षपातपूर्ण हितों से ऊपर उठें और इस तरह से काम करें, ताकि एक छोटी अवधि की चर्चा, जिसके लिए मैं सहमत हूं, हो सके. जगह ले लो”
जब सभापति नियम 267 के बहुत कम नोटिस स्वीकार किए जाने की मिसाल की ओर इशारा कर रहे थे और कह रहे थे कि पूरा देश संसद की कार्यवाही को देखता है, तो उन्हें ओ’ब्रायन ने रोका और कहा, “हम इसके बारे में जानते हैं.”
इसके बाद मामला तेजी से बिगड़ गया, सभापति ने ओ’ब्रायन से कहा, “मेरी बात सुनें और अपनी सीट पर बैठें.”लेकिन जब टीएमसी सांसद ने बोलना जारी रखा, तो धनखड़ ने कहा, “मिस्टर डेरेक ओ ब्रायन, नाटक करना आपकी आदत बन गई है. आप हर बार उठते हैं, आपको लगता है कि यह आपका विशेषाधिकार है. न्यूनतम चीज जिसका आप उदाहरण दे सकते हैं, वो है कुर्सी का सम्मान करो. न कि अगर मैं कुछ कह रहा हूं, तो उठो और नाटक करो.”
इस पर टीएमसी सांसद ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की और कहा, “थियेट्रिक्स(नाटकीय)? मुझे थियेट्रिक्स शब्द पर आपत्ति है. मैं केवल सदन के नियमों का हवाला दे रहा हूं. हम मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए नियम 267 के तहत मणिपुर पर एक गंभीर चर्चा चाहते हैं, जो एक प्रमुख आपातकालीन प्रावधान है.”
गुस्साए राज्यसभा सभापति ने तब ओ’ब्रायन से मेज नहीं थपथपाने के लिए कहा, “इसे मत करिए. यह नाटक नहीं है? मैं लीडर्स को बुलाऊंगा. हम इसे बर्दाश्त नहीं कर सकते.” इसके बाद धनखड़ ने सदन की कार्यवाही सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी, जबकि गुस्से में दिख रहे सांसद लगातार हाथ हिलाते रहे और बोलते रहे.
विपक्ष नियम 267 के तहत चर्चा के लिए दबाव बना रहा है, जो राज्यसभा सांसद को सभापति की मंजूरी से सदन के पूर्व-निर्धारित एजेंडे को निलंबित करने की विशेष शक्ति देता है. इस नियम के तहत पेश किए गए प्रस्तावों को शायद ही कभी स्वीकार किया गया हो. संसदीय रिकॉर्ड बताते हैं कि नियम के तहत 1990 और 2016 के बीच केवल 11 बार चर्चा की अनुमति दी गई थी. आखिरी उदाहरण 2016 में था, जब तत्कालीन सभापति हामिद अंसारी ने “मुद्रा के विमुद्रीकरण” पर बहस की अनुमति दी थी.
सरकार ने नियम 267 के तहत चर्चा से इनकार कर दिया है और नियम 176 के तहत इस मुद्दे पर चर्चा करने की पेशकश की है, जो अल्पकालिक चर्चा की अनुमति देता है. इसमें औपचारिक प्रस्ताव या मतदान का कोई प्रावधान नहीं है.