राजस्थान के कोटा में सड़क पर टहलता नजर आया मगरमच्छ, लोगों में मचा हडकंप

मगरमच्छ की सड़क पर चहल कदमी से आसपास खड़े लोगों में हड़कंप मच गया. जो लोग सड़क पर से गुजर रहे थे वह डर के मारे रुक गए कुछ लोगों ने मगरमच्छ के सड़क पार करते मोबाइल में वीडियो भी बनाए.

कोटा: 

राजस्थान के कोटा की सड़कों पर बारिश के मौसम में हर साल की तरह इस साल भी मगरमच्छों की चहलकदमी देखी जा रही है. कोटा के तलवंडी इलाके में मुख्य सड़क पर एक 4 फीट का मगरमच्छ देर रात सड़क पार करते नजर आया. मगरमच्छ की सड़क पर चहल कदमी से आसपास खड़े लोगों में हड़कंप मच गया. जो लोग सड़क पर से गुजर रहे थे वह डर के मारे रुक गए कुछ लोगों ने मगरमच्छ के सड़क पार करते मोबाइल में वीडियो भी बनाए. यह वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.

वीडियो में मगरमच्छ सड़क को क्रॉस करते नजर आ रहा है और सड़क किनारे बड़े नाले में जाता दिखा है. इससे पहले भी कोटा के बजरंग नगर और आसपास के इलाकों में मगरमच्छों की दस्तक बारिश के सीजन में देती है. जिससे क्षेत्र के लोगों में दहशत का माहौल बन जाता है. कई बार घरों के बाहर भी देर रात मगरमच्छ आ जाते है. वन्यजीव विभाग की टीम ने पिछले साल भी 2 दर्जन से अधिक मगरमच्छों का रिहायशी इलाकों से रेस्क्यू कर नदियों में छोड़ा था. लेकिन एक बार फिर शहर के नये इलाके में मगरमच्छ की चहलकदमी ने हड़कंप मचा दिया हैं.

कोटा शहर के लाइफ लाइन कही जाने वाली चंबल नदी शहर के बीच होकर बहती है. वही चंबल की नहर शहर का अधिकांश इलाका कवर करते हुए मध्य प्रदेश तक जाती है. नहर के पानी में मगरमच्छ अक्सर देखे जाते है , और कई बार नहर से बाहर निकल कर मगरमच्छों की चहलकदमी सड़कों पर देखी जाती है. कोटा शहर के बड़े नालों से भी कई बार मगरमच्छ सड़क पर निकल आते हैं.

शहर के नजदीक चंद्र लोही नदी मगरमच्छों की है शरण स्थली

कोटा शहर के बीच से निकल रही चंद्रलोही नदी जो आगे जाकर चंबल नदी में समाहित हो जाती है. इस नदी में सालों से मगरमच्छों का डेरा है. सैकड़ो की तादाद में यहां मगरमच्छ देखे जाते हैं. इन दिनों नदी के बाहर खेतों में भी बड़े मगरमच्छों के आ जाने से क्षेत्र के किसान अपने खेतों से दूरियां बनाते हैं. मगरमच्छों का इन दिनों प्रजनन काल भी चल रहा है. नदी के किनारे ही बड़ी संख्या में मगरमच्छ अंडे देते हैं. वन्यजीव विभाग की ओर से नदी के किनारे कई जगहों पर चेतावनी के साइन बोर्ड भी लगाए गए हैं. ग्रामीणों पर मगरमच्छों के हमले की भी घटनाएं कई बार देखी गई है.

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