महंत घासीदास स्मारक संग्रहालय रायपुर के सभागार में चल रही कार्यशाला में छत्तीसगढ़ के प्राचीन अभिलेखों पर केंद्रित विशेष व्याख्यान भी हुआ। कार्यशाला में रिसोर्स पर्सन डॉ. टी.एस. रविशंकर ने कहा कि जांजगीर-चांपा जिले में स्थित गूंजी के अभिलेख से ऋषभतीर्थ होने और एक हजार गायों के दान देने की जानकारी होती है जिससे छत्तीसगढ़ में पशुधन की समृद्धि का पता लगता है।
डॉ. रविशंकर ने छत्तीसगढ़ की तीसरी शताब्दी ई.पू. से 12वीं शताब्दी तक के प्रमुख अभिलेखों के माध्यम से छत्तीसगढ़ की अभिलेखीय व पुरालेखीय विरासत पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि सरगुजा स्थित रामगढ़ के अभिलेख में बनारस का उल्लेख हुआ है और मंदिर नर्तकी (देवदासी) परंपरा की जानकारी मिलती है।
उल्लेखनीय है कि संस्कृति विभाग अंतर्गत संचालनालय पुरातत्त्व, अभिलेखागार एवं संग्रहालय रायपुर द्वारा सात दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई है। कार्यशाला के पांचवें दिन रिसोर्स पर्सन डॉ. टी.एस. रविशंकर ने गुप्तकालीन ब्राह्मी व छत्तीसगढ़ में गुप्तोत्तर कालीन शरभपुरीय-पण्डुवंश काल में प्रचलित विशिष्ट प्रकार की लिपि पेटिका शीर्ष ब्राह्मी के बारे में प्रतिभागियों को बतलाया और अभ्यास कराया। उन्होंने कहा कि लुप्त होती इन प्राचीन लिपियों के ज्ञान को नई पीढ़ी को हस्तांतरित करने के लिए अभिभावकों को भी अपने बच्चों में रुचि विकसित करके योगदान देना चाहिए। संचालनालय द्वारा इस कार्यशाला के माध्यम से विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं में प्राचीन लिपियों को लिखने और पढ़ने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।