विश्व सिकलसेल जागरूकता दिवस पर रायपुर मेडिकल कॉलेज में सिकलसेल स्क्रीनिंग एवं जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन
रक्त से जुड़ी अनुवांशिक बीमारी सिकलसेल एनीमिया पर आज विश्व सिकलसेल जागरूकता दिवस के मौके पर पंडित जवाहर लाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय एवं डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग द्वारा सिकलसेल जागरूकता एवं स्क्रीनिंग कार्यक्रम का आयोजन किया गया। सिकलसेल संस्थान एवं रायपुर सोसायटी ऑफ पेरिनेटोलॉजी एंड रिप्रोडक्टिव बायोलॉजी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम में मरीजों के रक्त के नमूने लेकर सिकलसेल बीमारी की जांच की गई। कार्यक्रम में इस बीमारी के फैलाव को रोकने से संबंधित उपायों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि एवं पंडित जवाहर लाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय की अधिष्ठाता डॉ. तृप्ति नागरिया ने अपने संबोधन में कहा कि आने वाली पीढ़ी में सिकलसेल के प्रसार को रोकने के लिए वैवाहिक संबंध तय करते समय सबको इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि भावी जीवनसाथी छोटी सिकलिंग (ss) एवं बड़ी सिकलिंग (As) पॉजिटिव न हों। सिकलसेल बीमारी की रोकथाम की दिशा में एक कदम आगे बढ़ते हुए हम सभी को विवाह के लिए सिकलसेल की जेनेटिक कुंडली मिलाने एवं इसकी स्क्रीनिंग या जांच कराने पर अधिक जोर देना होगा।
कार्यक्रम में पैथोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. अरविंद नेरल ने बताया कि सिकलसेल बीमारी को रोकने के लिए विवाह पूर्व और गर्भावस्था के दौरान संबंधित लोगों की सिकलिंग की जांच और उनके परिणामों के आधार पर पालकद्वय की काउसिलिंग और परामर्श किए जाने से आने वाली पीढ़ियों में इस बीमारी के फैलने पर अंकुश लगाया जा सकता है। सभी गर्भवती महिलाओं के लिए अन्य परीक्षणों के साथ ही सिकलिंग टेस्ट भी अनिवार्य रूप से किया जाना चाहिए। विश्व के कुछ देशों में कानूनी तौर पर सिकलसेल जांच को अनिवार्य किया गया है और उन देशों में इसके काफी अच्छे परिणाम देखने को मिल रहे हैं।
फॉग्सी के मेडिकल डिसऑर्डर इन प्रेग्नेंसी कमेटी के अध्यक्ष डॉ. मनोज चेलानी ने अपने उद्बोधन में कहा कि शासन द्वारा इसकी निःशुल्क जांच की व्यवस्था है। इसके साथ ही उन्होंने गर्भावस्था के दौरान इस समस्या को नियंत्रित करने के विभिन्न उपायों की चर्चा की। स्त्री एवं प्रसूति रोग विभागाध्यक्ष डॉ. ज्योति जायसवाल ने बताया कि इस कार्यक्रम के दौरान लगभग 150 लोगों की सिकलसेल की प्रारंभिक जांच की गई और आवश्यकता पड़ने पर इस बीमारी की पुष्टि के लिए उनकी एचपीएलसी जांच की जाएगी। चिकित्सा महाविद्यालय में जेनेटिक लैब के माध्यम से अनुवांशिक बीमारियों की जांच हो पाए तथा फीटल मेडिसीन की दिशा में काम शुरू हो सकें इसके लिए विभाग लगातार प्रयासरत है।