“ये पार्टी का आंतरिक मामला..”: अशोक गहलोत ने सचिन पायलट के साथ मतभेद दूर करने के दिए संकेत

2018 में राजस्थान में कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद से ही अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच के मतभेद खुलकर सामने आते रहे हैं. सचिन पायलट तब काफी मान मनौवल के बाद उपमुख्यमंत्री बनने पर सहमत हुए थे.

नई दिल्ली: 

राजस्थान में पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के साथ महीनों से खुलकर सामने आए मतभेदों को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कांग्रेस पार्टी का ‘आंतरिक मामला’ करार दिया है. अशोक गहलोत ने एनडीटीवी के साथ खास इंटरव्यू में कहा, “हाल ही में हमने दिल्ली में एक-दूसरे से बात की है. इस दौरान वहां राहुल गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, केसी वेणुगोपाल और राजस्थान प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा भी मौजूद थे.”

इस विषय पर विराम लगाते हुए सीएम ने कहा, “जब हम एक बार बात करने के लिए बैठे हैं, तो ऐसे में मैं अभी इसके बारे में बात नहीं करना चाहता. मैं अगर अब कुछ कहता हूं तो इसे गलत समझा जा सकता है.”

हालांकि, उन्होंने आश्वासन दिया कि वह अब भी पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता वसुंधरा राजे के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए तैयार हैं. सचिन पायलट ने बार-बार ये मांग उठाई है और गहलोत सरकार पर भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई में नरमी बरतने का आरोप लगाया है.

सीएम अशोक गहलोत ने कहा, “हमने वसुंधरा राजे के खिलाफ जो भी आरोप लगाए हैं, उन्हें अदालत में ले जाया गया है. लेकिन कोई और मामला आता है तो मैं कार्रवाई करूंगा. कोई आम व्यक्ति भी ये बता सकता है कि हमारे पास कार्रवाई के लिए क्या लंबित है.”

अशोक गहलोत ने सचिन पायलट पर दिए बयान पर दी सफाई
मुख्यमंत्री ने पिछले महीने दिए अपने बयान को स्पष्ट किया, जब उन्होंने दावा किया था कि वसुंधरा राजे और दो अन्य भाजपा नेताओं ने सचिन पायलट के नेतृत्व में उनकी पार्टी के विधायकों द्वारा 2020 के विद्रोह के दौरान उनकी सरकार को बचाने में भूमिका निभाई थी. गहलोत ने कहा, “कैलाश मेघवाल ने इस विषय को उठाया था कि कैसे मैंने एक बार भैरों सिंह शेखावत की भाजपा सरकार को गिराने में मदद करने से इनकार कर दिया था, और बताया कि कैसे राजस्थान में खरीद-फरोख्त की संस्कृति नहीं रही है.”

मैंने वसुंधरा राजे को नहीं दिया श्रेय- गहलोत
मुख्यमंत्री ने कहा, “इसका जवाब देते हुए, मैंने यह कह दिया कि वसुंधरा राजे जी भी खरीद-फरोख्त में विश्वास नहीं करती थीं. उन्होंने खुद मुझसे यह नहीं कहा था, लेकिन उनके विधायकों ने मुझसे मिलने पर ऐसा सुझाव दिया था. उस बयान को तोड़ा-मरोड़ा गया था और दावा किया गया था कि मैंने 2020 के विद्रोह के दौरान अपनी सरकार को बचाने के लिए उन्हें श्रेय दिया था. उनकी पार्टी के लोगों ने इसे उनके खिलाफ मुद्दा बनाने की कोशिश की.”

गहलोत ने अपनी एकता को प्रदर्शित करने के प्रयास में दिल्ली में कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व के साथ चार घंटे की बैठक के बाद पिछले सप्ताह सचिन पायलट के साथ तस्वीरें खिंचवाईं. उन्होंने कहा कि वह अपने प्रतिद्वंद्वी के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार हैं. अशोक गहलोत ने नेताओं से धैर्य रखने और मौके की प्रतीक्षा करने का आग्रह किया.

अक्सर सामने आते रहे हैं गहलोत-पायलट के बीच के मतभेद
2018 में राजस्थान में कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद से ही अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच के मतभेद खुलकर सामने आते रहे हैं. सचिन पायलट तब काफी मान मनौवल के बाद उपमुख्यमंत्री बनने पर सहमत हुए थे. उन्होंने फिर 2020 में विद्रोह किया और दिल्ली के पास कई दिनों तक डेरा डाला. बाद में राहुल गांधी द्वारा उन्हें समाधान का आश्वासन मिलने के बाद पायलट ने अपनी हड़ताल समाप्त कर दी.

अशोक गहलोत के साथ 80 से अधिक विधायकों के रहने के कारण विद्रोह नाकाम हो गया. सचिन पायलट कभी भी अपने समर्थन में 20 से ज्यादा विधायक नहीं जुटा पाए.

इस साल की शुरुआत में, सचिन पायलट ने राज्य में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के तुरंत बाद राजस्थान चुनाव के लिए एक एकल अभियान शुरू किया, जबकि अशोक गहलोत ने अन्य आरोपों के अलावा उन्हें गद्दार (देशद्रोही) और निकम्मा (बेकार) भी कहा था.

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