राजनांदगांव : सुराजी गांव योजना से ग्रामीण क्षेत्रों में दिखाई दे रही परिवर्तन एवं जागरूकता की अभूतपूर्व लहर

– मुखर, आत्मविश्वासी एवं स्वावलंबी बनी समूह की महिलाएं

– समूह की अधिकांश महिलाओं ने खरीदी मोबाईल

– फोन-पे, गुगल-पे, व्हाट्स एप जैसे एप्लीकेशन चलाकर बनी डिजिटल इंडिया का हिस्सा

– वर्मी कम्पोस्ट की बिक्री से ढाई लाख रूपए कमाये

– मछली पालन से 80 हजार रूपए की हुई आमदनी

सुराजी गांव योजना से ग्रामीण क्षेत्रों में परिवर्तन एवं जागरूकता की अभूतपूर्व लहर आयी है और महिलाओं की सामाजिक तथा आर्थिक स्थिति मजबूत बनी है। समूह की महिलाएं स्वरोजगार के नये-नये क्षेत्रों से परिचित हुई तथा शासन की लोक कल्याणकारी योजनाओं तथा समाज के प्रति जागरूक बनीं। समूह की महिलाएं मुखर, आत्मविश्वासी एवं स्वावलंबी बनी हंै, जिसमें गौठान का विशेष योगदान है। राजनांदगांव विकासखंड के ग्राम धीरी के गौठान की श्रीमती अनूपा साहू ने बताया कि गौठान से जुडऩा उनके जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ है। उन्होंने बताया कि गौठान में वर्मी कम्पोस्ट निर्माण, साग-सब्जी उत्पादन, मछली पालन जैसी आजीविका मूलक गतिविधियों का संचालन हो रहा है। वर्मी कम्पोस्ट, साग-सब्जी, स्थानीय स्तर पर निर्मित घरेलू उत्पाद की आपूर्ति आंगनबाड़ी केन्द्रों में की जा रही है। उन्होंने बताया कि उनके जय माँ अंगारमोती महिला स्वसहायता समूह में 10 महिलाएं जुड़ी हुई हैं। सभी सामूहिक एकता एवं ऊर्जा के साथ कार्य कर रही हैं। इससे उनके आपसी रिश्तों में भी मजबूती आयी है। गौठान के माध्यम से प्राप्त होने वाली आमदनी से वे अपने परिवार की आर्थिक जरूरतों को पूरा कर पा रही हैं।

समूह की महिलाओं ने बताया कि हाल ही में प्राप्त राशि से समूह की अधिकांश महिलाओं ने मोबाईल खरीद ली है। ग्रामीण महिलाएं डिजिटल इंडिया का हिस्सा बन कर सभी प्रकार के फोन-पे, गुगल-पे, व्हाटसएप सहित अन्य एप्लीकेशन चलाने में माहिर हो गई हैं। समूह की महिलाओं को वर्मी कम्पोस्ट की बिक्री से 2 लाख 50 हजार रूपए की राशि प्राप्त हुई है। धीरी गौठान में जय अम्बे मैया महिला स्वसहायता समूह, जय गंगा मैया महिला स्वसहायता समूह एवं शीतला महिला स्वसहायता समूह विभिन्न आजीविका गतिविधियों से जुड़ी हुई हैं। पिछले 2 साल में उन्हें मछली पालन के माध्यम से लगभग 80 हजार रूपए की आमदनी हुई है। श्रीमती अनूपा ने बताया कि गौठान ने उन्हें उनकी उम्मीद से ज्यादा दिया है। जो महिलाएं कभी घरेलू काम में व्यस्त रहती थी। आज उन्हें शासन की योजनाओं के माध्यम से रोजगार, व्यवसाय से जोडऩे तथा स्वरोजगार का अवसर मिला है और वे अपने घर-परिवार का सहारा बनी हैं।

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