वर्मी कम्पोस्ट खाद उत्पादन से भी जुड़ी हैं समूह की महिलाएं
राज्य शासन की महत्वाकांक्षी गोधन न्याय योजना अब ग्रामीणों को आर्थिक रूप से सक्षम करने में महत्ती भूमिका निभा रही है। उक्त योजनान्तर्गत जहां पशुपालकों और किसानों सहित ग्रामीणों को गोबर विक्रय से एक ओर अतिरिक्त आय हो रही है तो वहीं दूसरी ओर गौठान में महिला समूह गौपालन कर दुग्ध उत्पादन करने के साथ ही गोबर का विक्रय कर रहे हैं। जिससे महिला स्व सहायता समूहों को दुग्ध एवं दुग्ध उत्पाद विक्रय तथा गोबर विक्रय दोनों से आमदनी होने के फलस्वरूप वे आर्थिक रूप से सशक्त बन रही हैं। जिले के माकड़ी ब्लॉक अंतर्गत ओंडरी के मां शक्ति महिला स्व सहायता समूह ने गांव के गौठान में गौपालन कर अपनी इस आयमूलक गतिविधि के माध्यम से स्वयं को सबल बना दिया है। मां शक्ति महिला स्व सहायता समूह ने छत्तीसगढ़ ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत बैंक लिंकेज की 4 लाख रुपये से ओंडरी गौठान में गौपालन शुरू किया, लगभग एक वर्ष पूर्व 25 अप्रैल 2022 को आरंभ गौपालन से समूह की दीदियों को 2 लाख रुपये से अधिक की आय हुई है। वहीं इस महिला स्व सहायता समूह ने गौठान में गोबर बेचकर करीब 30 हजार रुपये अतिरिक्त आय अर्जित की है।
मां शक्ति महिला स्व सहायता समूह की अध्यक्ष दीदी चंद्रिका बताती हैं कि बीते साल 4 लाख रुपये बैंक लोन की सहायता में से 2 लाख 80 हजार रुपये की 4 दुधारू गाय खरीदने के साथ ही इन पशुओं का बीमा भी कराये। वहीं दाना, खल्ली और चारे के लिए राशि बचत कर रखे, ताकि वक्त पर काम आ सके। अपने गौपालन गतिविधि को तन्मयता के साथ संचालित करने की सोच रखकर समूह की दीदियों ने दुधारू पशुओं की आहार तथा बेहतर देखरेख लगातार जारी रखा है। यही वजह है कि 4 गायों से हर दिन 30 लीटर से ज्यादा दुग्ध उत्पादन हो रहा है। इस दूध को माकड़ी एवं अन्य गांवों में 55 रुपये प्रति लीटर की दर से विक्रय कर रहे हैं। जिससे बैंक की किश्त राशि 10 हजार रुपये आसानी के साथ अदा कर रहे हैं। वहीं दुधारू पशुओं के लिए दाना, खल्ली एवं चारे की समुचित व्यवस्था के साथ ही उन्हें समय-समय पर टीकाकरण एवं उपचार करवा रहे हैं। चन्द्रिका दीदी ने बताया कि इन गायों के साथ ही घर के दो गायों से हर रोज करीब 40 किलोग्राम गोबर मिलता है, जिसे गौठान में विक्रय कर अतिरिक्त आय प्राप्त कर रहे हैं। समूह की एक अन्य दीदी जगमोतीन बताती हैं कि समूह के 13 सदस्य होने के चलते वे सभी गौठान में वर्मी कम्पोस्ट खाद उत्पादन कार्य को भी कर रही हैं। वर्मी कम्पोस्ट खाद उत्पादन की लाभांश राशि अब तक 46 हजार रुपये मिली है। अपने उक्त आयमूलक गतिविधियों की आय को घर-परिवार की जरूरतों के लिए खर्च करने की बात कहते समूह की दीदी कौशिल्या एवं रैनी बताती हैं कि घर-परिवार के कार्य के साथ अपनी इस आयमूलक गतिविधि के जरिये उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त होने का सुअवसर मिला है। जिसे भविष्य में विस्तार करने की सोच रहे हैं।