छत्तीसगढ़ : भूपेश बघेल की सरकार ने जारी किया 12 हजार से अधिक शिक्षकों की भर्ती के लिए विज्ञापन

राज्य के जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर राज्य के स्कूल शिक्षा विभाग ने 12,489 शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने के लिए विज्ञापन जारी किया है.

रायपुर: 

छत्तीसगढ़ सरकार ने इस वर्ष के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले बृहस्पतिवार को राज्य में 12,489 शिक्षकों की भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. अधिकारियों ने बताया कि यह रिक्तियां सीधी भर्ती प्रक्रिया से भरी जाएंगी और इच्छुक उम्मीदवार इसके लिए छह मई से ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे. राज्य के जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर राज्य के स्कूल शिक्षा विभाग ने 12,489 शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने के लिए विज्ञापन जारी किया है.

उन्होंने कहा कि 12,489 रिक्तियों में से 6,285 सहायक शिक्षक, 5,772 शिक्षक और 432 व्याख्याताओं के पद हैं. उन्होंने कहा कि परीक्षा छत्तीसगढ़ व्यावसायिक परीक्षा मंडल द्वारा आयोजित की जाएगी. अधिकारियों ने बताया कि छत्तीसगढ़ में 58 प्रतिशत आरक्षण के साथ चयन और नियुक्ति प्रक्रिया जारी रखने के उच्चतम न्यायालय के एक मई के निर्देश के बाद यह कदम उठाया गया है. छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने पिछले वर्ष सितंबर माह में सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश में आरक्षण बढ़ाकर 58 प्रतिशत करने के राज्य सरकार के 2012 के आदेश को रद्द कर दिया था और कहा था कि 50 प्रतिशत की सीमा से अधिक आरक्षण असंवैधानिक है.

उच्च न्यायालय के फैसले के बाद आदिवासी समुदायों के लिए आरक्षण 32 प्रतिशत से घटकर 20 प्रतिशत हो गया. इसके बाद पिछले साल दिसंबर में ​छत्तीसगढ़ विधानसभा में राज्य की सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के लिए कुल आरक्षण बढ़ाकर 76 प्रतिशत करने का प्रस्ताव करते हुए दो संशोधन विधेयक पारित किए गए. हालांकि ये विधेयक राज्यपाल की सहमति के लिए राजभवन के पास लंबित है.

विधेयकों के अनुसार अनुसूचित जनजाति को 32 प्रतिशत, अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत, अनुसूचित जाति को 13 प्रतिशत और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए चार प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है. इससे राज्य में कुल आरक्षण 76 प्रतिशत हो जाएगा. इसी बीच छत्तीसगढ़ सरकार ने उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर कर उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी थी.

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