जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक महीने दर महीने महंगाई दर 3.72 फीसदी रही, जबकि पिछले साल की औसत महंगाई दर 27.26 फीसदी थी.
नई दिल्ली:
पाकिस्तान में महंगाई ने आम लोगों जीना दूभर कर दिया है. आलम कुछ ऐसा है कि यहां महंगाई ने बीते 50 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. हर तरफ खाना या खाद्य सामग्री लूटने के लिए लोगों की भीड़ दिख रही है. आंकड़ों के अनुसार बीते दस दिनों में खाना लूटने को लेकर हुई भगदड़ की घटनाओं में अभी तक 20 लोगों की जान जा चुकी है. पाकिस्तान में मार्च में महंगाई की दर 35.37 फीसदी दर्ज की गई है. कहा जा रहा है कि वहां ऐसे हालात इसलिए भी हैं क्योंकि पाकिस्तान सरकार IMF से मिलने वाले बेलआउट पैकेज को हासिल करने में असफल रही है.
शनिवार को जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक महीने दर महीने महंगाई दर 3.72 फीसदी रही, जबकि पिछले साल की औसत महंगाई दर 27.26 फीसदी थी. पाकिस्तान में आर्थिक उथल-पुथल का खामियाजा वहां की जनता को भुगतना पड़ रहा है. अभी तक कम से कम 20 लोग रमजान के महीने की शुरुआत के बाद से खाद्य वितरण केंद्रों पर भीड़ में मारे गए हैं.
कराची की एक विश्लेषक शाहिदा विजारत ने कहा, “जिस तरह से महंगाई बढ़ रही है, मेरा मानना है कि अकाल जैसी स्थिति पैदा हो रही है.”पाकिस्तान के दक्षिणी शहर कराची में शुक्रवार को रमजान में खाना बांटने वाली एक फैक्ट्री में भीड़ के कुचले जाने से कम से कम 12 लोगों की मौत हो गई.
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले खबर आई थी कि पाकिस्तान को भारी आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है. इस आर्थिक संकट के कारण पाकिस्तान की जनता महंगाई की मार झेल रही है. पाकिस्तान में आई इस आर्थिक संकट से आम जनता दाने-दाने को मोहताज हो गए हैं. उच्च मुद्रास्फीति, घटते विदेशी मुद्रा भंडार और बढ़ते चालू खाते के घाटे के साथ पाकिस्तान बढ़ती आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहा है. वहीं, इस कदर कंगाल हो रहे की पाकिस्तान की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही है. पाकिस्तान में आयात पर रोक लगाकर व्यापार घाटा कम करने की कोशिश के कारण बेरोजगारी का संकट तेजी से बढ़ रहा है. एक रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है.
न्यूज पेपर डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, ”बड़ी संख्या में कंपनियां कच्चे माल की कमी के कारण उत्पादन को कम कर रही हैं या परिचालन बंद कर रही है. हाल के महीनों में दर्जनों कंपनियों ने उत्पादन बंद करने के नोटिस जारी किए हैं.”
रिपोर्ट में कहा गया था कि व्यापार संतुलन में सुधार के लिए कच्चे माल के आयात पर अंकुश लगाना एक बड़े संकट को जन्म दे रहा है. एक निजी कंपनी डावलेंस की सभी प्रोडक्शन युनिट 2023 की शुरुआत से ही बंद हैं. कंपनी को मई 2022 में आयात-संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ा था.