दोनों देश रक्षा और रणनीति के अलावा व्यापार, शिक्षा, स्वास्थ्य और नवीनतम तकनीकी के क्षेत्र में अहम साझीदारी रखते हैं. दोनों देशों के बीच क़रीब 21 बिलियन डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार है.
नई दिल्ली:
जापान के पीएम फुमियो किशिदा सोमवार को दो दिवसीय दौरे पर भारत पहुंचे हैं. दिल्ली एयरपोर्ट पर उनकी अगवानी केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रेशेखर ने की. पीएम किशिदा राजघाट गए जहां बापू की समाधि पर उन्होंने फूल माला चढ़ाई और विजिटर बुक पर संदेश लिखा. इसके बाद पीएम किशिदा और पीएम मोदी की मुलाक़ात हुई. हैदराबाद हाउस में दोनों प्रधानमंत्रियों ने साझा प्रेस बयान दिया. पीएम मोदी ने इंडो पैसिफ़िक क्षेत्र की शांति सुरक्षा के लिए दोनों देशों की साझेदारी को अहमियत बतायी. बढ़ते व्यापार और निवेश का भी ज़िक्र किया. PM किशिदा ने PM मोदी को हिरोशिमा में होने वाले G7 की बैठक के लिए आमंत्रित किया जिसे भारत के प्रधानमंत्री ने स्वीकार कर लिया.
गौरतलब है कि भारत और जापान के संबंधों में लगातार मज़बूती आयी है और ये दौरा उसी दिशा में एक क़दम है. सन 2000 में भारत और जापान का संबंध ‘ग्लोबल पार्टनरशिप’ का रहा जो 2006 में ‘स्ट्रैटेजिक एंड ग्लोबल पार्टनरशिप’ का हो गया. 2014 में भारत जापान संबंध ने नई ऊंचाई छूई जिसे ‘स्पेशल स्ट्रैटेजिक एंड ग्लोबल पार्टनशिप’ कहा गया.
भारत और जापान के बीच 2006 से ही सालाना शिखर वार्ता होती रही है. पिछले साल पीएम मोदी की जापान के पीएम किशिदा से तीन बार मुलाक़ात हुई है. जापान और भारत ऐसे क़रीबी देश हैं जिनके बीच विदेश और रक्षा मंत्रियों की सालाना 2+2 बैठक होती है. रणनीतिक लिहाज़ से जापान और भारत के संबंध काफ़ी अहम हैं. इंडो पैसिफिक क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए दोनों देश मिलजुल कर काम करते हैं. दोनों देश QUAD में शामिल हैं जिसके दो और अहम सदस्य अमेरिका और आस्ट्रेलिया हैं. भारत और जापान के बीच 2015 में रक्षा उपकरण और तकनीकी समझौता हुआ जिसमें लगातार प्रगति हो रही है.
दोनों देश रक्षा और रणनीति के अलावा व्यापार, शिक्षा, स्वास्थ्य और नवीनतम तकनीकी के क्षेत्र में अहम साझीदारी रखते हैं. दोनों देशों के बीच क़रीब 21 बिलियन डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार है. जापान भारत में पांचवा सबसे बड़ा निवेशक है. आज क़रीब 1450 जापानी कंपनी भारत में काम कर रही है.
इस पृष्ठभूमि में देखें तो पीएम किशिदा और पीएम मोदी की ये मुलाक़ात इन संबंधों को आगे ले जाने की एक और कोशिश है. भारत के पास जी20 की अध्यक्षता है वहीं जापान जी7 की अध्यक्षता कर रहा है. इसे जी20 और जी7 देशों के बीच बेहतर तालमेल और सहयोग के मौक़े के तौर पर भी देखा जा रहा है ताकि दुनिया में खाद्य, स्वास्थ्य उर्जा और आर्थिक सुरक्षा जैसे मुद्दों पर कैसे मिलजुल कर काम किया जाए.