शासकीय कार्यालयों में छत्तीसगढ़ी बोली को बढ़ावा देने अधिकारियों को दिया गया प्रशिक्षण
छत्तीसगढ़ी मानकीकरण होने से छत्तीसगढ़ी भाषा के अध्ययन, अध्यापन और लेखन में आयेगी
एकरुपता आयेगी
छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग द्वारा आज मंगलवार को संयुक्त जिला कार्यालय बेमेतरा के दिशा-सभाकक्ष में छत्तीसगढ़ी भाषा के प्रचार-प्रसार और प्रशासनिक कार्यां में छत्तीसगढ़ी लेखन को प्रोत्साहित करने और शासकीय कार्यालयों में छत्तीसगढ़ी बोली को बढ़ावा देने के लिए छत्तीसगढ़ी म राज-काज बर प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ कलेक्टर बेमेतरा पदुम सिंह एल्मा द्वारा छत्तीसगढ़ महतारी के छायाचित्र पर दीप प्रज्ज्वलित एवं पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया। कार्यक्रम का संचालन छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के सचिव डॉ. अनिल भतपहरी के द्वारा किया गया। इस अवसर पर पुलिस अधीक्षक आई कल्याण एलिसेला, अपर कलेक्टर डॉ अनिल बाजपेयी, ट्रेनर डॉ सुधीर शर्मा, जिला समन्वयक संचालक रामानंद त्रिपाठी, सर्व अनुविभागीय अधिकारी राजस्व एवं डिप्टी कलेक्टर बेमेतरा सहित जिला स्तर के अधिकारी एवं छ.ग. राजभाषा आयोग के सदस्यगण उपस्थित थे। इस अवसर पर राजभाषा आयोग के सदस्यों ने कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कलेक्टर बेमेतरा, विशिष्ट अतिथि पुलिस अधीक्षक बेमेतरा एवं अपर कलेक्टर बेमेतरा को राजकीय गमछा भेंटकर स्वागत किया।
छ.ग. राजभाषा आयोग के सचिव भतपहरी ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ी राजभाषा को काम-काज की भाषा बनाने के लिए छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग द्वारा सराहनीय प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए सबकी सहभागिता से निरंतर प्रयास करने की जरूरत है। इस दिशा में उन्होंने छत्तीसगढ़ी भाषा में अधिक से अधिक साहित्यिक रचनाओं के प्रकाशन की आवश्यकता बतायी। उन्होने कहा कि छत्तीसगढ़ी राजभाषा के मानकीकरण के उद्देश्य एवं छत्तीसगढ़ी भाषा के प्रचार-प्रसार और प्रशासनिक कार्यां में छत्तीसगढ़ी लेखन को प्रोत्साहित करने तथा शासकीय कार्यालयों में छत्तीसगढ़ी बोली को बढ़ावा देने के लिए कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। इस दौरान उन्होने प्रशिक्षण कार्यक्रम में देश के अनेक राज्यों के राजभाषा और लोकभाषा के साहित्य व्याकरण शब्दकोष को तकनिकीकरण कर उपयोग करने के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। उन्होने बताया कि छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग, छत्तीसगढ़ी भाषा को शासकीय राज-काज, पाठ्यक्रम और संविधान के आठवें अनुसूची में शामिल करने के लिए निरंतर प्रयासरत है। इसके लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठित की गई है। इनका कार्य छत्तीगसढ़ी भाषा के मानक शब्दकोष और व्याकरण तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई है। छत्तीसगढ़ी मानकीकरण होने से छत्तीसगढ़ी भाषा के अध्ययन, अध्यापन और लेखन में एकरुपता आयेगी। उन्होने कहा कि हमें अपने घर, परिवार, समाज और कार्यालयों में बोलचाल में छत्तीसगढ़ी भाषा का उपयोग करने का संकल्प लेना चाहिए। बड़े अधिकारी आम जनता से छत्तीसगढ़ी में बातचीत करें तो धीरे-धीरे काम-काज भी छत्तीसगढ़ी में प्रारंभ होगा। सरकारी काम-काज में छत्तीसगढ़ी भाषा के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए राजभाषा आयोग द्वारा प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन समय-समय पर किया जा रहा है।
प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा जब छत्तीसगढ़ी भाषा का प्रयोग किया जाएगा तो अन्य सभी उससे प्रेरित होकर इस भाषा का प्रयोग करेंगे और इस तरह हमारी भाषा को विस्तार मिलेगा। इतना ही नहीं प्रशासनिक कार्य में संलग्न अधिकारियों एवं कर्मचारियों को विविध कार्यों से अपने पास आने वाले लोगों के साथ छत्तीसगढ़ी में ही बातचीत करना चाहिए इससे अपनत्व और प्रेम का भाव बढ़ता है, आत्मीयता प्रकट होती है। इस एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम मंस उपस्थित अधिकारियों एवं कर्मचारियों को छत्तीसगढ राजभाषा आयोग द्वारा जारी प्रशिक्षण प्रमाण पत्र दिया गया। इस अवसर पर स्थानीय कवि एवं साहित्यकार गोकुल बंजारे, मनोज श्रीवास्तव हास्य एवं व्यंग्य कलाकार, डॉ. राजेन्द्र पाटकर गीताकार, ईश्वर साहू, मनोज पाटिल गीतकार, नारायणवर्मा एवं भुवनदास जांगड़े ने छत्तीसगढ़ी में मनमोहक प्रस्तुति दी।