अप्रैल 2019 में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव, उनके बेटे अखिलेश यादव, प्रतीक यादव को राहत देते हुए सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के आरोपों को साबित नहीं किया जा सका.
नई दिल्ली:
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और उनके भाई प्रतीक यादव के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट ने बंद कर दी है. सीबीआई की 2013 की क्लोजर रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट ने मंजूर दे दी है और क्लोजर रिपोर्ट के खिलाफ याचिका खारिज कर दी है. सीबीआई के केस को बंद करने के खिलाफ कांग्रेसी नेता विश्वनाथ चतुर्वेदी की याचिका को कोर्ट ने खारिज किया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीबीआई पहले ही 7 अगस्त, 2013 को मामले की जांच बंद कर चुकी है. इसलिए अब इस याचिका में कोई मेरिट नहीं बचा है.
बात दें 5 दिसंबर, 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने मामला बंद करने से इनकार किया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो ये तय करेगा कि मामले की सुनवाई को बंद किया जाए या नहीं. पिछली सुनवाई के दौरान यादव परिवार की ओर से कपिल सिब्बल ने मामले की सुनवाई बंद करने की मांग की थी. उन्होंने कहा कि 2019 में सीबीआई हलफनामा दाखिल कर कह चुकी है कि केस की जांच वो बंद कर चुकी है. अब मामले में कुछ नहीं बचा है.
वहीं याचिकाकर्ता कांग्रेस नेता विश्वनाथ चतुर्वेदी ने इसका विरोध किया और कहा था कि ये सीबीआई मैन्युअल के खिलाफ है. CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा था कि मुलायम सिंह दुनिया में नहीं रहे. लेकिन परिवार के दूसरे सदस्यों पर भी मामला है. हम बाद में मामले की सुनवाई करेंगे.
दरअसल अप्रैल 2019 में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव, उनके बेटे अखिलेश यादव, प्रतीक यादव को राहत देते हुए सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के आरोपों को साबित नहीं किया जा सका. इसने 7 अगस्त, 2013 को प्रारंभिक जांच बंद कर दी थी. 8 अगस्त को सीबीआई ने इसकी सूचना CVC को दे दी थी.
केंद्रीय जांच ब्यूरो ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि उसने 2007 में आय से अधिक संपत्ति के मामले में मुलायम सिंह यादव के खिलाफ जांच बंद कर दी .कुछ दिनों बाद समाजवादी पार्टी के मुखिया ने कहा था कि उन पर लगाए गए आरोप राजनीति से प्रेरित थे
शीर्ष अदालत द्वारा सीबीआई को भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करने का निर्देश देने के बाद मामले की प्रारंभिक जांच शुरू की गई थी. मुलायम सिंह यादव ने शीर्ष अदालत में एक हलफनामा दायर किया था, जिसमें यह भी कहा गया था कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने उन्हें मामले में पहले ही बरी कर दिया है. मुलायम सिंह यादव और उनके बेटों, अखिलेश और प्रतीक के खिलाफ जांच की स्थिति रिपोर्ट की मांग करने वाले वकील और कांग्रेस नेता विश्वनाथ चतुर्वेदी की याचिका पर शीर्ष अदालत द्वारा मार्च में उन्हें नोटिस जारी करने के बाद समाजवादी पार्टी के नेता द्वारा हलफनामा दिया गया था.
चतुर्वेदी ने अपने आवेदन में दावा किया था कि सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर किए जाने के 11 साल बीत जाने के बावजूद सीबीआई यादव और उनके बेटों के खिलाफ जांच की स्थिति पर अदालत को अपडेट करने में विफल रही है. चतुर्वेदी ने 2005 में मुलायम, अखिलेश और प्रतीक और अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव के खिलाफ सीबीआई जांच की याचिका के साथ शीर्ष अदालत का रुख किया था. उन्होंने मुलायम पर 1999 और 2005 के बीच यूपी के मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार और 100 करोड़ रुपये से अधिक की आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप लगाया. हालांकि बाद में डिंपल यादव को इसमें से हटा दिया गया था.