होम-स्टे के जरिए दुनिया तक बस्तर की संस्कृति को पहुंचाने का कर रही है कार्य
बस्तर की उर्मिला नाग पर्णिकर महिलाओं के लिए एक मिसाल हैं। धुरवा समाज से संबंध रखने वाली उर्मिला बस्तर के एक छोटे से गांव माझीपाल की रहने वाली है। उन्होंने सिर्फ प्राथमिक शिक्षा ही ली है, बावजूद इसके आज उर्मिला की पहचान विदेशों तक हैं। दरअसल उर्मिला अपने पति रजनीश के साथ मिलकर आमचो-लाडी नामक होम स्टे चलाती हैं। जहां वे बस्तर घूमने पहुंचे पर्यटकों को बस्तर की संस्कृति, खान-पान और पहनावे से परिचित करवाती हैं। खास बात ये है कि कभी हिंदी तक नहीं समझने वाली उर्मिला आज विदेशी पर्यटकों से सहजता से बातचीत कर लेती हैं। होम-स्टे के जरिए उर्मिला बस्तर की संस्कृति को देश-दुनिया तक पहुंचा रही हैं। इसका सबसे शानदार उदाहरण है उनके हाथ के बने बस्तरिया व्यंजन जिसकी तारिफ दुनिया के जाने-माने शेफ गॉर्डन रामसे तक उनके हाथ से बने खाने की तारीफ कर चुके हैं। उर्मिला की पहचान होम-स्टे चलाने के इतर भी कुछ और है, उर्मिला अपने होम-स्टे के जरिए स्थानीय युवाओं को रोजगार से जोड़ रही हैं।
बातचीत के दौरान उर्मिला कहती हैं, कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वे ऐसा कुछ कर पाएंगी जिससे दुनिया में बस्तर को लोग जानेंगे। उन्हें अच्छा लगता है कि बस्तर के बारे में विदेशी बात करते हैं। उनकी संस्कृति को बारे में जानने लिए उत्सुक रहते हैं।
उर्मिला बातचीत के दौरान ये भी कहती हैं कि उन्हें खुशी होती है कि वे अपनी संस्कृति को बचाने की दिशा में काम कर रही हैं। उनका होम-स्टे सिर्फ एक रुकने की जगह नहीं बल्कि बस्तर की आदिवासी संस्कृति को करीब से जानने का एक माध्यम है। हाल ही में उर्मिला को बस्तर की संस्कृति को सहेजने के लिए ‘छत्तीसगढ़ महतारी सम्मान’ से सम्मानित किया गया है। उर्मिला आगे चलकर अपने क्षेत्र की महिलाओं को सशक्त बनाना चाहती हैं। नारी सशक्तिकरण पर बात करते हुए उर्मिला कहती हैं कि महिलाएं अपने रास्ते खुद चुनती हैं, मैंने भी चुना, मुझे मेरे पति और परिवार का पूरा साथ मिला। अगर मैं आगे बढ़ सकती हूं तो हर वह वो महिला आगे बढ़ सकती है जो कुछ करने का जज्बा रखती हैं।