भारत और दक्षिण अफ्रीका ने बीते साल जनवरी में अफ्रीकी देश से चीतों को लाने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया था और उन्हें कूनो में फिर से बसाया था.
नई दिल्ली:
दक्षिण अफ्रीका से आज 12 चीते (Cheetah) भारत आ रहे हैं . केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव (Bhupender Yadav) ने शुक्रवार को ट्वीट कर इस बारे में जानकारी दी थी. अब मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भी इस बारे में जानकारी मुहैया कराई. शिवराज सिंह ने ट्वीटर पर लिखा, आज कुनो में चीतों का कुनबा बढ़ने वाला है. प्रधानमंत्री जी हृदय से धन्यवाद, उनके विजन के कारण चीते पुनः पुनर्स्थापित हो रहे हैं. मध्यप्रदेश की धरती पर आज 12 चीते आ रहे हैं. उनका कुनबा बढ़कर अब 20 हो जाएगा. मध्यप्रदेश में चीतों का स्वागत है.
इसस पहले केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव (Bhupender Yadav) ने जानकारी देते हुए बताया था कि भारतीय वायु सेना का सी-17 ग्लोबमास्टर विमान शनिवार को 12 चीतों को भारत पहुंचा देगा. भूपेंद्र यादव ने बताया था कि 12 चीतों को कूनो नेशनल पार्क (केएनपी) में उनके बाड़ों में छोड़ेंगे. इन 12 चीतों में सात नर और पांच मादा हैं. कूनो आने वाले चीतों का यह दूसरा ग्रुप है. इससे पहले नामीबिया से आठ चीतों के पहले ग्रुप को पिछले साल 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने 72वें जन्मदिन के अवसर पर मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क के बाड़ों में छोड़ा था.
अधिकारियों ने कहा कि वर्तमान में कूनो में ये आठ चीते तीन से चार दिन में शिकार कर रहे हैं और उनका स्वास्थ्य ठीक है. उन्होंने कहा कि एक मादा चीते का स्वास्थ्य ठीक नहीं था, क्योंकि उसका क्रिएटिनिन का स्तर बढ़ गया था. इलाज के बाद अब उसकी स्थिति ठीक है. सीरम में क्रिएटिनिन के स्तर से किडनी के कामकाज और स्वास्थ्य की स्थिति का पता लगाने में मदद मिलती है.
भारत और दक्षिण अफ्रीका ने बीते साल जनवरी में अफ्रीकी देश से चीतों को लाने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया था और उन्हें कूनो में फिर से बसाया था. दुनिया के अधिकांश 7,000 चीते दक्षिण अफ्रीका, नामीबिया और बोत्सवाना में रहते हैं. नामीबिया में चीतों की सबसे अधिक आबादी है. चीता एकमात्र ऐसा मांसाहारी जीव है जो मुख्यत: अत्यधिक शिकार और आवासन की कमी के कारण भारत से पूरी तरह से विलुप्त हो गया है. भारत में आखिरी चीता 1948 में छत्तीसगढ़ के कोरैया जिले के साल वन में मृत पाया गया था.