चीन में कोविड के कहर का चरम दो से तीन महीने तक चलेगा, ग्रामीण इलाकों में होगा ज़्यादा असर

सरकारी मीडिया के मुताबिक, पाबंदियों के अचानक खत्म होने से चीन के 1.4 अरब आबादी पर वायरस का खतरा मंडरा गया है, जिनमें एक-तिहाई से ज़्यादा ऐसे इलाकों में रहते हैं जहां संक्रमण पहले से चरम पर है.

बीजिंग: 

चीन के एक शीर्ष महामारी विज्ञानी का कहना है कि कोरोनावायरस और उससे होने वाले रोग COVID-19 की लहर का चरम दो से तीन महीने तक बना रहने की आशंका है, और यह लहर जल्द ही दूरदराज के ग्रामीण इलाकों तक भी फैल जाएगी, जहां चिकित्सा संसाधन काफी कम हैं.

रॉयटर में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, अब जल्द ही चीन के ग्रामीण क्षेत्रों में संक्रमण तेज़ी से बढ़ने की आशंका है, क्योंकि चंद्र नववर्ष की छुट्टियों के लिए लाखों लोग अपने-अपने घरों को यात्रा करते हैं. चीनी नववर्ष आधिकारिक तौर पर 21 जनवरी से शुरू होता है, और महामारी के प्रकोप से पहले इसे लोगों के सबसे बड़े वार्षिक प्रवास के रूप में जाना जाता था.

चीन ने लॉकडाउन लगाने के सख्त कोरोनाकाल के खिलाफ नवंबर के अंत में देशभर में हुए ऐतिहासिक विरोध-प्रदर्शनों के बाद पिछले महीने अचानक सभी पाबंदियों को हटा दिया था, और पिछले रविवार को अपनी सीमाओं को भी फिर खोल दिया था.

सरकारी मीडिया के मुताबिक, पाबंदियों के अचानक खत्म होने से चीन के 1.4 अरब आबादी पर वायरस का खतरा मंडरा गया है, जिनमें एक-तिहाई से ज़्यादा ऐसे इलाकों में रहते हैं जहां संक्रमण पहले से चरम पर है.

लेकिन स्थानीय मीडिया आउटलेट कैक्सिन में गुरुवार को प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार चाइनीज़ सेंटर फॉर डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के पूर्व मुख्य महामारी विज्ञानी ज़ेंग गुआंग ने चेतावनी दी है कि महामारी का सबसे खराब दौर अभी खत्म नहीं हुआ है. ज़ेंग के हवाले से कहा गया है, “हमारी प्राथमिकता बड़े शहरों पर केंद्रित रही है… और यह समय ग्रामीण क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने का है…” उन्होंने कहा कि ग्रामीण इलाकों में, जहां चिकित्सा सुविधाएं अपेक्षाकृत खराब हैं, बड़ी तादाद में लोग छूटते जा रहे हैं, जिनमें बुज़ुर्ग, बीमार और दिव्यांग शामिल हैं.

इसी हफ्ते विश्व स्वास्थ्य संगठन (वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइज़ेशन या WHO) ने भी छुट्टियों के दिनों में सफर करने से होने वाले जोखिमों के प्रति चेताया था. संयुक्त राष्ट्र से जुड़ी एजेंसी ने कहा था कि चीन अब तक COVID से होने वाली मौतों की रिपोर्टिंग कम कर रहा था, हालांकि अब वह इसके प्रकोप पर अधिक जानकारी प्रदान कर रहा है.

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