महंगे खाद्य तेलों से राहत देने के लिए मोदी सरकार ने किया ये उपाय

उपभोक्ताओं को खाद्य तेलों की महंगी कीमतों से राहत देने के लिए मोदी सरकार के सालाना 20-20 लाख टन सूरजमुखी और सोयाबीन तेल के शुल्क मुक्त आयात करने की छूट देने के बाद भी देश में इन तेलों की कम आपूर्ति की

उपभोक्ताओं को खाद्य तेलों की महंगी कीमतों से राहत देने के लिए मोदी सरकार के सालाना 20-20 लाख टन सूरजमुखी और सोयाबीन तेल के शुल्क मुक्त आयात करने की छूट देने के बाद भी देश में इन तेलों की कम आपूर्ति की स्थिति बनी है्,  क्योंकि  जितनी मात्रा में शुल्कमुक्त आयात की छूट दी गई है,  उसके मुकाबले घरेलू मांग काफी अधिक है। ये बातें बाजार सूत्रों ने की है।

इन तेलों की बाकी मांग को आयात के माध्यम से पूरा करने के लिए आयातकों को 5.50 प्रतिशत का आयात शुल्क अदा करना होगा, लेकिन इस शेष शुल्क अदायगी वाले तेल को शुल्कमुक्त आयातित तेल से ही प्रतिस्पर्धा करनी होगी, जिसकी वजह से आयातक नए सौदे खरीद नहीं रहे और इसकी वजह से देश में कम आपूर्ति की स्थिति बन गई है और इससे सूरजमुखी और सोयाबीन तेल के दाम सस्ता होने के बजाय और महंगा हो गए हैं। सूत्रों ने कहा कि इससे उपभोक्ताओं को सोयाबीन तेल सात रुपये किलो और सूरजमुखी का तेल 20-25 रुपये किलो महंगा मिल रहा है। सरकार को तत्काल इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिये।
उन्होंने कहा कि सरकार या तो शुल्क मुक्त आयात की सीमा को खत्म कर दे या पहले की तरह 5.50 प्रतिशत का आयात शुल्क लगा दे। इससे घरेलू बाजार में तेल की आपूर्ति बढ़ेगी और प्रतिस्पर्धा के कारण उपभोक्ताओं को सस्ता खाद्यतेल मिलेगा और सरकार को भी राजस्व की प्राप्ति होगी।

सूत्रों ने बताया कि आगामी त्योहारों और सर्दियों के मद्देनजर हल्के खाद्यतेलों की मांग और बढ़ेगी क्योंकि जाड़े के मौसम में जम जाने के गुण कारण पाम तेल की मांग काफी कम हो जाती है। ऐसे में कम आपूर्ति की स्थिति को समाप्त करना समय की मांग है। जिन आयातकों ने महंगे भाव पर आयात कर रखा था उन्हें खाद्यतेलों के घरेलू दाम टूटने के कारण खरीद भाव के मुकाबले लगभग आधे दाम पर अपना माल बेचने को मजबूर होना पड़ा था। आयातकों को भारी नुकसान हो रहा है और उनके बैंकों का कर्ज डूबने की स्थिाति में पहुंच रहा है।  त्योहारी मांग के कारण दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में  लगभग सभी खाद्य तेल कीमतों में तेजी दिखी। मांग घटने से केवल मूंगफली तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट देखने को मिली।  बाजार सूत्रों ने बताया कितेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

  •      सरसों तिलहन -7,075-7,100 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल।
  •      मूंगफली -7,070-7,135 रुपये प्रति क्विंटल।
  •      मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 16,700 रुपये प्रति क्विंटल।
  •      मूंगफली रिफाइंड तेल 2,670-2,930 रुपये प्रति टिन।
  •      सरसों तेल दादरी- 14,650 रुपये प्रति क्विंटल।
  •      सरसों पक्की घानी- 2,245-2,375 रुपये प्रति टिन।
  •      सरसों कच्ची घानी- 2,315-2,430 रुपये प्रति टिन।
  •      तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,800-20,500 रुपये प्रति क्विंटल।
  •      सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 14,000 रुपये प्रति क्विंटल।
  •      सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,700 रुपये प्रति क्विंटल।
  •      सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 12,500 रुपये प्रति क्विंटल।
  •      सीपीओ एक्स-कांडला- 9,100 रुपये प्रति क्विंटल।
  •      बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 13,100 रुपये प्रति क्विंटल।
  •      पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 10,700 रुपये प्रति क्विंटल।
  •      पामोलिन एक्स- कांडला- 9,800 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
  •      सोयाबीन दाना – 5,125-5,175 रुपये प्रति क्विंटल।
  •      सोयाबीन लूज 4,975-5,025 रुपये प्रति क्विंटल।
  •      मक्का खल (सरिस्का) 4,010 रुपये प्रति क्विंटल।

इंदौर में सोयाबीन रिफाइंड तेल के भाव में तेजी

तिलहन

  • सरसों (निमाड़ी) 5800 से 6000,
  • सोयाबीन 4200 से 5100 रुपये प्रति क्विंटल।

तेल

  • मूंगफली तेल 1630 से 1650,
  • सोयाबीन रिफाइंड तेल 1320 से 1325,
  • सोयाबीन साल्वेंट 1290 से 1295,
  • पाम तेल 1035 से 1040 रुपये प्रति 10 किलोग्राम।

कपास्या खली

  • कपास्या खली इंदौर 2000,
  • कपास्या खली देवास 2000,
  • कपास्या खली उज्जैन 2000,
  • कपास्या खली खंडवा 1950,
  • कपास्या खली बुरहानपुर 1950 रुपये प्रति 60 किलोग्राम बोरी।
  • कपास्या खली अकोला 2950 रुपये प्रति क्विंटल।

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