यूपी के मिर्जापुर में कम बजट में घूमने के ढेरो ऑप्शन हैं। मिर्जापुर पर्यटन और धार्मिक दोनों के लिए प्रसिद्ध है। मां विंध्यावासिनी का मंदिर यहीं स्थापित है। वहीं घूमने के लिए चुनार किला और जलप्रपात है।
मिर्जापुर उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में स्थित है। वाराणसी से इस शहर की दूरी करीब 61 किलोमीटर है। मिर्जापुर अपने सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत के लिए जाना जाता है। यहां प्राचीन किले से लेकर खूबसूरत जल प्रपात स्थित है जो मन मोह लेने का काम करता है।
धार्मिक स्थलों की बात की जाए तो मिर्जापुर में विंध्याचल में मां विंध्यावासिनी मंदिर है जहां दूर-दूर से श्रद्धालु मां के दर्शन करने आते हैं। ऐसा माना जाता है कि मां विंध्यावासिनी मंदिर आने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यहां घूमने के लिए कम पैसों में ढेरों ऑप्शन मिल जाते हैं। आज की स्टोरी में हम आपको मिर्जापपुर के टॉप 5 टूरिस्ट प्लेस के बारे में बताने जा रहे हैं।
विंध्यावासिनी मंदिर
मिर्जापुर समेत पूरे पूर्वांचल में मां विंध्यावासिनी मंदिर प्रसिद्ध है। यहां दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। पौराणिक कथाओं के मुताबिक मां सती क का एक अंग इसी स्थान पर गिरा था। मंदिर के गर्भगृह में मां विंध्यावासिनी की बड़ी सी चांदी की प्रतिमा स्थापित है।
इफ्तिखार का मकबरा
मुगल बादशाह जहांगीर का पदाधिकारी इफ्तिखार खान का मकबरा यहां स्थित है। इस मकबरे का निर्माण साल 1613 में हुआ था। इफ्तिखार खान 1612 ईस्वी में बंगाल में युद्ध के दौरान शहीद हो गया था।
पक्का घाट
गंगा नदी किनारे पक्का घाट बना हुआ है। घाट के किनारे कई सारे मंदिर हैं। जिसकी कारीगरी बेहद खास है। यदी आपको सेल्फी पांइट की तलाश है तो ये जगह आपको बेहद पसंद आएगी।
चुनार का किला
मिर्जापुर शहर से करीब 30 किलोमीटर दूर चुनार का किला है। यह किला गंगा नदी के किनारे स्थापित है। यहां से नदी के बहते पानी की आवाज साफ सुनाई देता है। इतिहासकारों के मुताबिक उज्जैनन के महाराज विक्रमादित्य ने अपने छोटे भरतरी नाथ ने संन्यास ग्रहण करके यहां तपस्या की थी। जब यह खबर महाराज को चली तो उन्होंने 56 ईसा पूर्व में यहां पर अपने छोटे भाई के लिए किले का निर्माण करवाया। यह किला कई राजा महराजा के अधीन रहा। इतिहास में दिलचस्पी रखने वाले लोगों के लिए स्थान खास है क्योंकि इस किले में कई राज आज भी दफन हैं।
अष्टभुज मंदिर
मिर्जापुर में दूसरा प्रसिद्ध मंदिर अष्टभूज मंदिर है। यहां हर दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। यह मंदिर विंध्याचल पर्वत पर स्थित है। मंदिर में मां अष्टभुजी की प्रतिमा स्थापित है। मंदिर जाने के लिए सीढ़ी और रोपवे है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक जब कंश देवकी की आठवीं संतान को कृष्ण समझकर मारने गया तो उसके हाथ से छूटकर अष्टभुजी रूप में अवतार लिया।
लखनिया वॉटरफॉल
मिर्जापुर के लखनिया वॉटरफॉल में पिकनिक स्पॉट है। यहां झरना 100 मीटर की ऊंचाई से गिरता है। यहां अक्सर छुट्टियों के वक्त लोग पिकनिक मनाने के लिए आते हैं। मिर्जापुर के खास सेल्फी पांइट में से यह स्थान एक है।