विश्नोई की भूमिका के बारे में विस्तार से बताते हुए ईडी ने दावा किया कि विश्नोई ने मैन्युअल रूप से कोयला परिवहन परमिट प्राप्त करने की पूर्व-मौजूदा ऑनलाइन प्रक्रिया को बदलने का आदेश जारी किया। जिससे अवै
प्रवर्तन निदेशालय ने छत्तीसगढ़ के व्यवसायी सूर्यकांत तिवारी मामले में आरोपपत्र दायर किया है। इसमें बताया गया है कि सरकारी अधिकारियों की मदद से पिछले 16 महीनों में 500 करोड़ रुपये की अवैध कोयला लेवी एकत्र की और अवैध धन का एक हिस्सा चुनावी फंडिंग के लिए इस्तेमाल किया गया। एजेंसी ने कहा कि कोयले के परिवहन के लिए 25 रुपये प्रति टन का अवैध शुल्क लगाया गया था।
आरोपपत्र में कहा गया, ‘डिलीवरी ऑर्डर (डीओ) अवैध लेवी का भुगतान करने के बाद ही जारी किए गए थे और यह जबरन वसूली सिंडिकेट एक सुनियोजित साजिश में चलाया जाता है। कोयला ढोने वाले ट्रक को खदान छोड़ने के लिए आदेश आवश्यक है।’
ईडी ने 12-पेज के रिमांड आवेदन में आरोप लगाया कि एकत्र किए गए धन का इस्तेमाल सरकारी कर्मचारियों और राजनेताओं को रिश्वत देने के लिए किया जा रहा था। साथ ही कहा कि इस पैसे के कुछ हिस्सों का इस्तेमाल चुनाव खर्च के वित्तपोषण के लिए किया जा रहा था। हालांकि, इसमें किसी भी राजनीतिक दल का नाम नहीं लिया गया। ईडी ने आरोपपत्र में कहा गया, ‘अब तक की गई जांच से यह भी पता चलता है कि इस तरह के पैसे के बड़े हिस्से को बेदाग धन के रूप में पेश करने और संपत्तियों के अधिग्रहण के लिए निवेश करके लेन-देन किया गया है।
विश्नोई की भूमिका के बारे में विस्तार से बताते हुए ईडी ने दावा किया कि विश्नोई ने मैन्युअल रूप से कोयला परिवहन परमिट प्राप्त करने की पूर्व-मौजूदा ऑनलाइन प्रक्रिया को बदलने का आदेश जारी किया। जिससे अवैध लेवी को सक्षम किया जा सके। ईडी ने आरोप लगाया, ‘इसने भ्रष्टाचार के लिए भानुमती का पिटारा खोल दिया।’
ईडी ने कहा कि आयकर विभाग को सूर्यकांत तिवारी के एक रिश्तेदार रजनीकांत तिवारी के आवास पर छापेमारी के दौरान एक डेयरी मिली। इसमें उल्लेख किया गया था कि रोशन कुमार सिंह के माध्यम से विश्नोई के नाम पर 50 लाख रुपये जमा किए गए थे। ईडी ने आरोप लगाया, ‘यह स्पष्ट है कि विश्नोई भी कोयले की अवैध उगाही के लिए रची गई साजिश का हिस्सा है।’