जनसंख्या असंतुलन पर बोले मोहन भागवत- बने पॉलिसी और सब पर एक समान हो लागू

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने असंतुलन के कारण भी गिनाए। उन्होंने कहा, ‘जन्मदर में अंतर के अलावा जबरन, लुभाकर या लालच से धर्मांतरण और घुसपैठ भी इसके बड़े कारण हैं।’

महाराष्ट्र के नागपुर स्थित राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ मुख्यालय में दशहरा पर्व पर शस्त्र पूजा की गई। इस दौरान संघ प्रमुख मोहन भागवत ने दुनिया के उदाहरण पेश करते हुए जनसंख्या असंतुलन का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि भारत को जनसंख्या नियंत्रण कानून की जरूरत है। इस दौरान उन्होंने महिला सशक्तिकरण समेत कई अहम मुद्दों पर भी चर्चा की।

उन्होंने कहा, ‘जनसंख्या नियंत्रण के साथ-साथ धार्मिक आधार पर जनसंख्या संतुलन भी बहुत जरूरी है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।’ उन्होंने कहा, ‘जनसंख्या को संसाधन की जरूरत होती है। अगर यह संसाधन को बढ़ाए बगैर बढ़ेगी, तो बोझ हो जाएगी।’ उन्होंने कहा, ‘यदि इसका सही इस्तेमाल हो तो यह साधन भी है। एसेट्स भी है। किसी भी देश में 57 करोड़ युवाओं की संख्या नहीं है। हमारा पड़ोसी देश चीन बुजुर्ग हो चला है। लेकिन हमें विचार को समझना होगा।’

चिंता और कारण
भागवत ने कहा, ‘जनसंख्या असंतुलन के चलते भौगोलिक सीमाओं में भी बदलाव होता है।’ इस दौरान उन्होंने असंतुलन के कारण भी गिनाए। उन्होंने कहा, ‘जन्मदर में अंतर के अलावा जबरन, लुभाकर या लालच से धर्मांतरण और घुसपैठ भी इसके बड़े कारण हैं।’ भागवत ने कोसोवो और दक्षिण सुडान जैसे देशों का उदाहरण दिया, जो जनसंख्या में धर्म के असंतुलन के चलते पैदा हो गए।

संघ प्रमुख ने साफ कहा कि जनसंख्या को लेकर एक समग्र नीति बननी चाहिए और उसमें किसी को छूट नहीं मिलनी चाहिए। सभी पर समान रूप से नीति लागू होनी चाहिए। यदि कोई चीज लाभ वाली बात है तो समाज आसानी से स्वीकार कर लेता है। लेकिन जहां देश के लिए छोड़ना पड़ता है तो थोड़ी दिक्कत आती है।

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