खाद्य मंत्रालय ने मुफ्त राशन की योजना को जारी रखने का प्रस्ताव रखा है। खाद्य मंत्रालय का प्रस्ताव ऐसे समय में आया है जब देश के वित्त मंत्रालय ने योजना को बंद करने की बात कही थी।
भारत सरकार मुफ्त राशन की योजना को दिवाली के बाद भी जारी रख सकती है। मामले से परिचित लोगों ने मंगलवार को ये जानकारी दी। सूत्रों के मुताबिक, भारत सरकार अपने मुफ्त राशन कार्यक्रम को तीन महीने तक बढ़ा सकती है। सरकार अपनी इस खाद्यान योजना के तहत देश की अधिकांश आबादी को कवर करती है। सरकार के लिए इसकी लागत सालाना 18 बिलियन डॉलर से अधिक रही है। सूत्रों ने कहा कि सरकार दिसंबर तक लगभग 80 करोड़ लोगों को मुफ्त चावल या गेहूं देना जारी रख सकती है। मुफ्त राशन की योजना इसी साल सितंबर के अंत में समाप्त होने वाली थी जिसे अभ विस्तार दिया जा सकता है।
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, खाद्य मंत्रालय ने मुफ्त राशन की योजना को जारी रखने का प्रस्ताव रखा है। खाद्य मंत्रालय का प्रस्ताव ऐसे समय में आया है जब देश के वित्त मंत्रालय ने योजना को बंद करने की बात कही थी। वित्त मंत्रालय इस मुफ्त कार्यक्रम का विस्तार करने के पक्ष में नहीं था। इसने राजकोषीय दबाव और वैश्विक स्तर पर तंग आपूर्ति के कारण दिए जाने वाले अनाज की मात्रा को कम करने का सुझाव दिया है। हालांकि इस पर जल्द ही एक अंतिम फैसले की उम्मीद है।
बता दें कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना मार्च 2020 में कोविड लॉकडाउन के दौरान शुरू की गई थी। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत कवर किए गए लगभग 80 करोड़ लाभार्थियों को लॉकडाउन अवधि के दौरान प्रति व्यक्ति प्रति माह 5 किलो खाद्यान्न मुफ्त प्रदान करने के लिए शुरू की गई थी। तब से, सरकार का खर्च बढ़ा है और योजना की लागत बढ़कर लगभग $44 बिलियन हो गई है। खाद्य और वित्त मंत्रालयों के प्रवक्ताओं ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
मुफ्त राशन की योजना को आगे बढ़ाने का यह प्रस्ताव अक्टूबर से शुरू होने वाले भारत के त्योहारी सीजन से पहले आया है जो आर्थिक गतिविधियों को चलाने के लिए महत्वपूर्ण है। इस साल के अंत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य गुजरात के साथ ही हिमाचल प्रदेश में चुनाव भी होने वाले हैं। इस साल, भारत को गेहूं और चावल के निर्यात को प्रतिबंधित करना पड़ा है क्योंकि अनिश्चित मौसम के कारण फसल को नुकसान हुआ है, जिससे खाद्य कीमतों पर दबाव बढ़ रहा है और वैश्विक कृषि बाजारों में हलचल मची हुई है।