महान स्पिनर मुथैया मुरलीधरन ने भी किया दीप्ति शर्मा का सपोर्ट, लेकिन दे दिया ये तर्क

महान स्पिनर मुथैया मुरलीधरन ने भी एक तरह से दीप्ति शर्मा का सपोर्ट किया है, लेकिन उन्होंने ये तर्क भी दिया है कि ये खेल भावना के खिलाफ है। उनका कहना है कि ऐसे में खिलाड़ी को वॉर्निंग देनी चाहिए।

भारतीय ऑलराउंडर दीप्ति शर्मा इंग्लैंड की बल्लेबाज को नॉन स्ट्राइक पर रन आउट करने वाली पहली महिला क्रिकेटर बनने के लिए चर्चा में हैं। लॉर्ड्स में शनिवार को चार्ली डीन के क्रीज से बाहर होने पर दीप्ति शर्मा ने नॉन-स्ट्राइकर एंड पर स्टंप्स गिरा दिए थे और इस तरह महिला वनडे क्रिकेट का ये पहला उदाहरण था, जिसमें बल्लेबाज को नॉन स्ट्राइक एंड पर इस तरह से आउट होना पड़ा। इस पर अब अलग-अलग प्रतिक्रियाएं आ रही हैं, जिसमें अब महान स्पिनर मुथैया मुरलीधरन का नाम भी शामिल हो गया है।

भारतीय स्पिनर आर अश्विन, जिन्होंने आईपीएल में इंग्लैंड के बल्लेबाज जोस बटलर को भी इसी तरह से रन आउट किया था, उन्होंने दीप्ति शर्मा के प्रेजेंस ऑफ माइंड की प्रशंसा की और कहा कि गेंदबाज को विकेट का श्रेय दिया जाना चाहिए और ब्रेवरी अवॉर्ड दिया जाना चाहिए। हो सकता है कि उन्होंने मजाक में ऐसा कहा हो, क्योंकि गेंदबाज को कभी भी रन आउट विकेट के लिए श्रेय नहीं दिया जाता है, लेकिन उनकी टिप्पणी दुनिया के सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले मुथैया मुरलीधरन को पसंद नहीं आई।

डेक्कन क्रोनिकल से बात करते हुए महान ऑफ स्पिनर मुरलीधरन ने कहा, “क्या प्रेजेंस ऑफ माइंड? कोई भी क्रिकेटर अंतरराष्ट्रीय मैच नहीं खेलेगा अगर उसके पास प्रेजेंस ऑफ माइंड नहीं है। मैं दीप्ति (शर्मा) की सराहना करता अगर उन्होंने पहले नॉन स्ट्राइकर को चेतावनी दी होती। यह तब खेल की सही भावना में भीतर होता।” बता दें कि दीप्ति शर्मा ने खुद अपने बयान में कहा है कि उन्होंने पहले चार्ली डीन और अंपायर को इसके बारे में चेतावनी दी हुई थी। चार्ली ने एक या दो बार नहीं, कई बार जल्दी क्रीज छोड़ी थी।

मुरली ने आगे कहा, “हां, कानूनी तौर पर, वह (दीप्ति शर्मा) नॉन स्ट्राइकर को रन आउट करने में सही थीं, लेकिन यह कानून में है, लेकिन खेल की भावना से नहीं। सफेद गेंद का मैच एक दबाव का मैच होता है और एक कठिन परिस्थिति में नॉन स्ट्राइकर जल्दी क्रीज छोड़ सकता है और यदि नॉन स्ट्राइकर द्वारा यह कार्य दोहराया जाता है, मेरी राय में रन आउट उचित है, अन्यथा नहीं।” यहां तक कि आईसीसी के लिए नियम बनाने वाली संस्था मेरिलबोन क्रिकेट क्लब यानी एमसीसी ने भी इसे सही ठहराया है।

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