यूपी के बाराबंकी में अस्पताल में दो नवजातों की अदला-बदली के बाद दो परिवारों के बीच छिड़े विवाद का निपटारा डीएनए से हुआ। डीएनए रिपोर्ट के आधार पर 56 दिन बाद बच्चे को उसकी मां के हवाले कर दिया गया।
यूपी के बाराबंकी में जिला महिला अस्पताल के एनआईसीयू वॉर्ड में भर्ती दो नवजात की कथित अदलाबदली पर कराए गए डीएनए परीक्षण की रिपोर्ट 56 दिन के बाद पुलिस को मिल गई है। पुलिस ने रिपोर्ट न्यायालय बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत की। बच्चे की डीएनए रिपोर्ट जैदपुर क्षेत्र की प्रसूता नीलम से मिलान होने पर उसे बच्चा सौंप दिया गया।
समिति की अध्यक्ष न्यायिक मजिस्ट्रेट बाला चतुर्वेदी, सदस्य रचना श्रीवास्तव, राजेश शुक्ला और दीपशिखा ने शुक्रवार को डीएनए रिपोर्ट और अस्पताल के अभिलेखों का परीक्षण कर नवजात को उसके वास्तविक पिता विक्रम और मां नीलम को सौंपे जाने के आदेश जारी किए। विक्रम व उसकी पत्नी जैदपुर के जियनपुर के निवासी हैं। आदेश की प्रति पिता व राजकीय बालगृह (शिशु) प्राग नारायन रोड लखनऊ को भी सौंपी गई है।
पुलिस के अधिकारियों ने भी इस मामले को काफी संजीदगी से लिया था और विधि विज्ञान प्रयोगशाला महानगर लखनऊ को कई अनुस्मारक भेजकर इस मामले में डीएनए की रिपोर्ट जल्द से जल्द दिए जाने का आग्रह किया था। नवजात के परिवार के लोगों के आदेश की प्रति मिलते ही हर्षोल्लास से चेहरे चमक गए। सीडब्लूसी की पीठ ने अपने निर्णय में यह भी निर्देशित किया की नवजात लगभग 56 दिन तक अपने मां की ममता से दूर रहा। इसके नाते नवजात के शारीरिक, मानसिक एवं भावात्मक स्थिति की जांच पड़ताल सीएमएस महिला अस्पताल कराए।
अस्पताल प्रशासन के अभिलेखों पर डीएनए रिपोर्ट ने लगाई मुहर डीएनए की रिपोर्ट ने जिला महिला अस्पताल के एनआईसीयू वॉर्ड के डॉक्टर व स्टॉफ के दर्ज ब्योरे पर डीएनए की रिपोर्ट ने भी मुहर लगा दी है। अस्पताल प्रशासन पहले दिन से ही इस बच्चे के नीलम का होने का दावा कर रहा था। हालांकि एक अन्य नवजात की मृत्यु पर हो रहे हंगामे पर डीएनए परीक्षण कराने का फैसला किया था।
मामला 27 जुलाई का था। फतेहपुर के बनीरोशनपुर के सत्येंद्र वर्मा की पत्नी हर्षिता ने बेटे को जन्म दिया था। कुछ दिक्कतों पर आशा कार्यकर्ता गीता ने बच्चे को एनआईसीयू में भर्ती कराया था। इस बीच रात 1115 बजे जियनपुर जैदपुर के विक्रम अपने कुछ घंटे के नवजात को बेबी नीलम के रूप में पता दर्ज कराते हुए एनआईसीयू में भर्ती कराया था। जहां पर एक बच्चे की मौत हो गई थी। जीवित बच्चे पर दोनों पक्ष अपनी दावेदारी कर रहे थे। जिस पर माता-पिता व बच्चे के डीएनए जांच कराई गई थी।
सीएमएस महिला अस्पताल डॉ. प्रदीप श्रीवास्तव के अनुसार हर्षिता के पहले दो बच्चे गर्भ में ही मर गए थे। पहला गर्भ समापन फतेहपुर में कराया गया था। दूसरे का डेढ़ साल पहले नगर के शगुन हास्पिटल में कराने की हिस्ट्री मिली थी। तीसरे बच्चे की मृत्यु पर यह दंपति अवसाद में आ गए थे। डीएनए परीक्षण रिपोर्ट को जानने के लिए यह दंपति अक्सर अस्पताल आते थे। दावेदार विक्रम व उसकी पत्नी नीलम भी डीएनए के रिजल्ट के परिणाम को उत्सुक थे।