छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर संभाग के जिलों में CRPF पहली बार स्थानीय युवकों को आरक्षक के पद पर भर्ती करेगा। केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश के बाद छत्तीसगढ़ CRPF आईजी ने विज्ञापन जारी किया है।
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर संभाग के जिलों में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) पहली बार स्थानीय युवकों को आरक्षक के पद पर भर्ती करेगा। केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश के बाद छत्तीसगढ़ सीआरपीएफ आईजी ने बुधवार को विज्ञापन जारी किया है। बस्तर संभाग के सुकमा, बीजापुर, और दंतेवाड़ा जिले के मूल आदिवासी युवाओं को सुनहरा अवसर मिलेगा। स्थानीय बोली के जानकार बस्तर के 400 युवकों की सीआरपीएफ बटालियन में भर्ती की जाएगी। स्थानीय युवा नक्सलियों से मुकाबला करेंगे। सीआरपीएफ में दंतेवाड़ा से 144, बीजापुर से 128 और सुकमा से 128 युवकों की भर्ती 10 अक्टूबर से 22 अक्टूबर के बीच होगी।
बता दें कि राज्य पुलिस द्वारा भी 2100 स्थानीय युवाओं की बस्तर बटालियन में भर्ती की गई है। इन्हें नक्सल प्रभावित इलाकों में तैनात करने की योजना बनाई गई है। अब सीआरपीएफ में भी 400 बस्तरिहा युवाओं को भर्ती किया जाएगा। सीआरपीएफ कांटेबल बनने परीक्षा में शामिल होने वालों युवाओं से 2 पेपर्स लिए जाएंगे। इसमें पहले सामान्य हिन्दी भाषा का वस्तुनिष्ठ और दूसरा हल्बी व गोड़ी बोली में लिखित और मौखिक परीक्षा ली जाएगी। सफल होने वाले अभ्यर्थियों की शारीरिक दक्षता परीक्षा का आयोजन किया जाएगा। परीक्षा बीजापुर जिले के सीआरपीएफ कैंप आवापल्ली, दंतेवाड़ा के कारली स्थित रिजर्व पुलिस लाइन और सुकमा जिले के जिला पुलिस लाइन और सीआरपीएफ 219 बटालियन इंजीराम कोंटा में होगी।
अंदरुनी क्षेत्रों में कैंप खुलने से बैकफुट पर नक्सली
सीआरपीएफ ने नक्सल क्षेत्र में माओवाद को खत्म करने कई कैंप स्थापित किए हैं। इसका अच्छा परिणाम भी सामने आया है। दंतेवाड़ा जिले के अंदरूनी क्षेत्रों में स्थापित सीआरपीएफ कैंप की बदौलत नक्सली बैकफुट पर हैं। सीआरपीएफ जवानों ने ग्रामीणों का विश्वास जीता है। बता दें कि गृह मंत्रालय ने दक्षिण छत्तीसगढ़ के तीन जिलों बीजापुर, दंतेवाड़ा और सुकमा से सीआरपीएफ में कांस्टेबल (सामान्य सेवा) के रूप में 400 उम्मीदवारों की भर्ती के लिए जरूरी न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता में छूट मांगी थी। 8वीं कक्षा में उत्तीर्ण युवाओं को शामिल करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को दिया गया था। यह कहा गया था कि भर्ती के बाद इन युवाओं की ओपन स्कूल से 10वीं की पढ़ाई करवा ली जाएगी। इस आधार पर कैबिनेट ने यह प्रस्ताव मंजूर किया था।
भर्ती के बाद सीआरपीएफ कराएगी 10वीं की पढ़ाई
बस्तर क्षेत्र से नक्सलवाद को खत्म करने सीआरपीएफ ने यह कदम उठाया है। स्थानीय लोगों की भर्ती से एंटी नक्सल ऑपरेशन में मदद मिलेगी। गृह मंत्रालय के इस विशेष अभियान में राज्य के नक्सल प्रभावित 3 जिलों बीजापुर, दंतेवाड़ा और सुकमा के आदिवासी युवाओं की भर्ती की जाएगी। सीआरपीएफ इन युवाओं को ट्रेनिंग और प्रोबेशन के दौरान शिक्षा भी प्रदान करेगा। भर्ती के बाद 10वीं तक की शिक्षा दी जाएगी और उसके बाद इन्हें स्थायी कर दिया जाएगा। शिक्षा प्रदान करने मान्यता प्राप्त स्कूलों या ओपन स्कूल में रजिस्ट्रेशन कराया जाएगा। सीआरपीएफ में स्थानीय युवाओं की भर्ती से नक्सल मोर्चे पर तैनात जवानों को मदद मिलेगी। स्थानीय लोग क्षेत्र और बस्तरिया भाषा में ग्रामीणों से संवाद कर सकेंगे।
जिस जिले में ज्यादा नक्सली वहां के युवा होंगे शामिल
बस्तर संभाग के सुकमा, बीजापुर और दंतेवाड़ा जिले में अभी नक्सली सक्रिय हैं। यह नक्सलियों का कोर इलाका है। बड़े नक्सल नेता फिलहाल इन्हीं इलाकों में सक्रिय हैं। सीआरपीएफ इन्हीं 3 जिलों को फोकस करके वहां भर्ती प्रक्रिया शुरू कर रही है। 3 जिलों के घने जंगलों में सीआरपीएफ कैंप सबसे ज्यादा हैं और अधिकांश कोर इलाके में हैं। यहां सर्चिंग आपरेशंस के लिए सीआरपीएफ को ऐसे लोगों की जरूरत है जो स्थानीय स्तर पर भौगोलिक स्थिति से अच्छी तरह वाकिफ हों, जिससे कोर एरिया में सुरक्षित और कारगर सर्चिंग अभियान चलाए जा सकें। लोकल विंग डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड (डीआरजी) की कामयाबी के बाद केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) में यह प्रयोग किया जा रहा है। इसके लिए नियम बदले गए, जिसे केंद्र सरकार ने मंजूरी दी है।