कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव के ऐलान के बाद से ही गहलोत का नाम चर्चा में आ गया था। हालांकि, उन्होंने इसे लेकर कभी स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहा, लेकिन अब वह नामांकन दाखिल करने की तैयारी कर रहे हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष पद की दावेदारी में नजर आ रहे राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने राज्य का मोह नहीं छोड़ पा रहे हैं। खबर है कि उन्होंने आलाकमान के सामने प्रदेश और पार्टी दोनों की कमान साथ संभालने की बात रखी है। हालांकि, इसे लेकर आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया। फिलहाल, वह 25 से 28 सितंबर के बीच दिल्ली दौरे की तैयारी कर रहे हैं। इस दौरान कांग्रेस प्रमुख के चुनाव के लिए नामांकन भी भरे जाएंगे। संभावनाएं जताई जा रही हैं कि तिरुवनंतपुरम सांसद शशि थरूर भी अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल कर सकते हैं।
राजस्थान नहीं छोड़ना चाहते गहलोत
राजस्थान सरकार में मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास जानकारी देते हैं कि गहलोत ने साफ कर दिया है कि वह राजस्थान छोड़कर नहीं जा रहे हैं। साथ ही उन्होंने बताया कि सीएम और अन्य नेता उनकी उम्मीदवारी पर फैसला लेंगे। अब खबर यह भी है कि गहलोत राजस्थान में अपना पद छोड़ने के मूड में नहीं हैं।
राहुल, राहुल और राहुल
कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव के ऐलान के बाद से ही गहलोत का नाम चर्चा में आ गया था। हालांकि, उन्होंने इसे लेकर कभी स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहा, लेकिन अब वह नामांकन दाखिल करने की तैयारी कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि इसके बाद भी वह राहुल गांधी के पार्टी अध्यक्ष के तौर पर लौटने की उम्मीद कर रहे हैं। इससे पहले भी वह लगातार राहुल की उम्मीदवारी का ही समर्थन करते रहे हैं।
क्यों नहीं छोड़ना चाहते राजस्थान?
पार्टी के शीर्ष पद के लिए गांधी परिवार की पसंद माने जा रहे गहलोत कथित तौर पर राजस्थान की भूमिका से भी दूर नहीं होना चाहते। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अगर ऐसा होता है, तो उनके विरोधी माने जाने वाले सचिन पायलट आगे आ सकते हैं। अब रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से बताया गया कि गहलोत इस पक्ष में नहीं हैं और साथ ही उनका समर्थन करने वाले विधायक यह चाहते हैं।
केजरीवाल का मॉडल!
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पार्टी अध्यक्ष के साथ राजस्थान के मुख्यमंत्री पद पर भी बने रहना चाहते हैं। गहलोत के समर्थक इसे केजरीवाल मॉडल करार दे रहे हैं। उनके मुताबिक, जिस तरह अरविंद केजरीवाल आम आदमी पार्टी के प्रमुख के साथ मुख्यमंत्री पद संभाल रहे हैं, अशोक गहलोत भी एक साथ दो पद संभाल सकते हैं।
प्रदेश और पार्टी साथ-साथ
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, सूत्रों ने बताया कि गहलोत ने कांग्रेस नेतृत्व को बताया कि वह पार्टी प्रमुख बनने के बाद भी कुछ समय के लिए मुख्यमंत्री बने रहना चाहते हैं। सूत्रों का कहना है कि अगर वह राष्ट्रीय राजनीति में आए, तो भी वह चाहते है कि उनकी जगह वफादार राजस्थान की कमान संभाले। अगर ऐसा नहीं है, तो वह कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बनकर राजस्थान के कप्तान भी बने रहना चाहते हैं।
राजस्थान में कांग्रेस को संकट से बचाते रहे गहलोत
साल 2020 में पायलट की बगावत ने प्रदेश कांग्रेस में संकट खड़ा कर दिया था। उस दौरान युवा नेता 18 विधायकों के साथ दिल्ली पहुंच गए थे। करीब एक महीना लंबे चले इस सियासी ड्रामे पर गांधी परिवार के दखल के बाद विराम लग सका था। दरअसल, माना जाता है कि 2018 चुनाव के बाद पायलट और गहलोत दोनों ही सीएम पद की रेस में थे, लेकिन कांग्रेस आलाकमान ने 71 वर्षीय वरिष्ठ नेता को कमान सौंपी। उस दौरान पायलट को डिप्टी सीएम बनाया गया। हालांकि, बगावत के समय उन्होंने यह पद भी गंवा दिया था।